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________________ ૫૫ चितस्य शांतिकरणे प्रशमाब्धि तुल्या, पद्मावती जयति शासन पुण्य-लक्ष्मीः यंत्राणि नाशकरणे किल वै पशुनाम्, धोराणि हिंस्त्र जनता परिकल्पतानि तेषांबलं विफलतां नयने समर्था, पद्मावती जयति शासन पुण्य- लक्ष्मी : सन्मांत्रिकैस्तु निज साधन साधिता सा, काले कलावपि वरं परिदातुमीशा धन्यं प्रतीहपरिदेशित - सर्वगुह्या, पद्मावती जयति शासन पुण्य-लक्ष्मी : सिरि पउमावई अट्टगं कारिगा :- विउसी अज्जा रयणचूलासिरि सुंथुती पहुं पासं, सावहाणा पइक्खणं विणासे विग्ध विदंस्स, जयइ पउमावई Jain Education International दलउ दलउ दुक्खं, भक्तिराणं नराणं, हरउ हरउ विग्धं, संघकज्जे सडित्ति, कुणउ कुणउं, सिग्धं, पुञ्ज पोम्मावइ मा, जयउ जयउ अम्ब, सव्व साहेज्जे सील For Private & Personal Use Only શ્રી પાર્શ્વનાથોપસર્ગ - હારિણી पउमा होउ संतुट्ठा, रोग सोग निवारिणी सुमंगला महादेवी, सया सुहम्म वच्छला सेयवासाssसवासाणं, सम्मेय सेल वृत्तंते अउव्वणुग्गहं कुज्जा, विवाय भंजणं परं पुम- नयणे ! रम्मे ! रत्ते ! स्तुप्पलङ्गि जे हंसारुढे ! कयासणे ! कुकुडोरगवाहिणि (३) सम्मदंसण संजुता, सा ओहिनाण लोयणा सोहग्ग सिरि संपन्ना, होउ रस्त सुहंकरी विविह दंसणे णेग - णामाहि विस्सुया जए गावयारिणी सिट्ठा, सव्व सम्म विहायिणी अन्नाणांध अ सिद्धते, चकबु सिद्धिं सयायणीं दिज्जउ देवि ! तित्येस, तत्त वियारणं भव ॥७॥ 11911 1 ॥ २ ॥ 1 ॥३॥ ॥४॥ 1 ॥८॥ 1 I ॥५॥ 1 II ॥६॥ 1 11 11211 www.jainelibrary.org
SR No.005139
Book TitleParshwanathopasargaharini Shasandevi Shree Padmavatimata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal B Devluk
PublisherArihant Prakashan
Publication Year1995
Total Pages688
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size33 MB
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