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અભિનવ લઘુપ્રક્રિયા . (१) अजादेः २/४/१६
*वृत्ति:- आबेव परा यस्मात्तस्मिन्ननित्क्यापरे यदादि ★ सूत्रथ० अज-आदेः
वजस्पात इत्स्यात पाचिका कारिका मदिका यदादि वजनाद * वृत्ति:- एभ्यः स्त्रीयामापू स्यात् । अजा एडका | यका सका क्षिपकेत्यादौं नेत्यम कोकिला बाला शुद्रा जयेष्ठा ।
प्रत्यर्थ:-आपू ५२ने तया प्रत्यय :- अज वगैरे होनसीअनिन् [न, इत् नाय ते। कपन अकन ] leon मना११। आप् (आ) प्रत्यय लागे छे. प्रत्ययना सयभूत क ॥२ ५२ छti अन्त्य अज+आप-अजा-40
જ કારનો રૂ કાર થાય છે. આ નિયમ एडक+आ एडका-री
यत् तत् क्षिपक वगेरेने वाले छे. कोकील+आ-कोकीला-डोयर
भां यत् तत् क्षिपक वगैरे सिायना बाल+आ-बाला-छ।री
अकारान्त ५४+ अनित-क+आप सत्य अने। शुद्र+आ-शुद्रा-शुद्रा
इ पाचिका - शयनारी पाचू+अ+आ-पाच्+ जयेष्ठ+आज्येष्ठा-मारी.
इ+का-पाचिका में रात अने। इ थ शे . * अनुत्ति :-ताभ्यां वाऽऽपू डित् २-४-१५या आप
४ शत मद्रिका भद्र शिनी स्त्री, करिका,
ना। [महा-पचू मन कृ धातुने कतृचो विशेष : अजादि गणः अजा, एडका, अश्वा, [५-१-४८ था णक् लाये। छ] चटका, मुषिका, कोंकिला, बाला,हाडा, पाका, वत्सा, मन्दा, I0 यददि नाम था-थकाने स्त्री, सका विलाता कन्या, मुन्धा, ज्येष्ठा, कनिष्ठा, मध्यमा, पूर्व पहाणा, स्त्री, क्षिपका = धना - मां अने। इ अपरापहाणा संग्रहाणा, त्रिफला, कृञ्चा, देवविशा, उणिहा.
ન થયે 0 अजादेः मेवा ही निशया अजादिना समय शविले. अजादिनु स्त्रीत्वाय तो अजादिया (पचभी NX मनुवृति:- इच्चाऽपु सेऽ नित् क्यापूपरे था) आप याय.
| २-४-1०७ था इत्...अनिन् क्यापरे 0 डी प्रत्ययन सा सूत्र अपवाद छे. भबाल, | 卐 विशेष :-0 कया पर सिधार आप कन्यामां वयस्यननत्ये २-४-२१था ङी प्रत्ययाती प्राप्तिछे. प्रत्यय हो। नेणे वय विमति न डावी. 0 अजादेः भ यु ?
0 सुषमा 4.4. *1 आनिगलने माटे. पञ्चानामजानां समाहारः :- पञ्चाजी मही समाहार | 0 शिपकादि गाय- (असाथे*2 ) क्षिपका-नारी, सभास छ. तेथी की प्रत्यय लाग्यो -(द्विगोः समाहारात्- अवकागति नारी धुवका-पनारी.चरका-यनारी २-४-२२ था की याय.)
४ यातना। वटका- नान, इष्टक- नारी, 0*1 तहत शहोने पर आए प्रत्यय थाय छे महांश्चासौं एडका-तुति २॥री. दण्डका-६ ४२नारी. पिका अजश्च इति- सी विवक्षामा महाजा यश.
अनेलहका(मथ नथा)क-एक दीपनारी मेनका-नगुनारी, 0 पञ्चाजीमां की भसाथ्यो ?
भानना1. एरका-प्रे२९॥ नारी, करका-विक्षेप ४२नारी, *2 सिंगानुशासननाथासमाहागुरीसिंगेय छे. | अबका-क्षनारी, अलका-शमनारी. द्वारका-५ 0 अजादि शहोनी व्युत्पत्ति भाटे मृत्ति साथेने नारी रेवका-तिनारी, सेवका-सेवा नारी, न्यासका . सूत्र २-४-१६
धारका. धारण२नारी उपत्यका- पतनी जेरी, 3/37
अधित्यका-पनी पानो भाग 3 (२) अस्याऽयत्तत्क्षिपकादीनामू २/४/११ 0 अनित् भयु? * सूत्रथ० अस्य अ-यत् तत् क्षिपक-आदीनाम्
० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० ०
*1 आकृति गण सामनेमावा नाश होमसभा 1 *तदन्तादपि:- हम आश पूर्वाध. १८७. * 2 क्षिकादि सीमान्त मा.१ ५३४८ 2 *पात्रानि वर्जितादन्तोत्तपर परः समाहारे
* 3 शिषका कोरे श होनी व्युत्पत्ति भट मृत्ति લિંગાનુશાસન સ્ત્રીલિ ગ પ્રકરણ મલેક ૫. :
न्यास सहित-द्वितीय अध्याय २ भाग-२५३०७ ।
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