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गिरवर दर्शन बिरला पावे । अन्नत भवना कर्म खपाये ॥
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श्री शाकुंजय महातीर्थ
•• पालीताणा ••
प्रकाशकः पारसमल प्रेमचंद २७०, साइन ईस्ट, बम्बई ४०००२२.
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४३॥
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एकेकुं डगलुं भरे गुंजा साहमा जोह। ऋषभ कहे भव) कर्मखतह
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इसे आशातनासे बचावो वरना छपावनार जिमेवार नहीं ।