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|| श्री आत्म-वल्लभ-समुद्र-इन्द्रदिन्न सद्गुरुभ्यो नमः ॥
:: आशीर्वचन :: विजय नित्यानन्द सूरि जिनशासन के विपुल वैभव को वेपेरी, चेन्नई ग्रन्थारुढ करने का महान भगीरथ कार्य
दि. : १-१०-२००८ अत्यंत अनुमोदनीय तथा अभिनन्दनीय है। अनेक विषयों, विशिष्ट विभूतिओं तथा शासन प्रभावकों की शाश्वत सौरभ से इस ग्रन्थ का प्रत्येक पृष्ठ महक रहा है। आने वाले अनेक युगों तक तथा अनेक पीढियों के लिए प्रेरणा का प्रकाश बिखैरने वाला यह अद्भुत-अद्वितीय ग्रन्थ सुज्ञ सम्पादक महोदय की कड़ी महेनत, लगन तथा निष्ठा का परिणाम है। | यह ग्रन्थ अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में अवश्य सफल होगा ऐसा मुझे दृढ विश्वास है। | प्रकाशन की सफलता हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ तथा शुभाशीर्वाद।
-विजय नित्यानन्द सूरि