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कुणाल
जुओ रथावर्तगिरि कुडङ्गेश्वर
उज्जयिनीमां अवंतिसुकुमालना देहो सर्गना स्थान उपर तेना पुत्रे बंधावेलु मन्दिर.
जुओ अवन्तिसुकुमाल कुणाल
सम्राट अशोकनो पुत्र. अशोके तेने उज्जयिनी कुमारभुक्तिमा आप्यु हतुं. ते आठ वर्षनो थयो त्यारे अशोके तेना उपर एक पत्र पाठन्यो अने तेमां लख्यु के–'अधीयतां कुमारः' (कुमार विद्याभ्यास करे). पण कुणालनी अपर माताए ए उपर अनुस्वार मूकीने 'अंधीयतां कुमारः' (कुमारने अंध बनाववामां आवे) एम करी दीधुं. कुणाले तो पितानी आज्ञा शिरोधार्य गणीने तपावेली सळोथी आंखो आंजी अने अंध बन्यो. आ वात जाणीने राजाए उज्जयिनी अन्य कुमारने आपी, अने कुणालने बीजां गामडां आप्यां. कुणाल संगीतविद्यामां निपुण हतो. एक वार अशोक पासे आवीने पडदा पाछळथी गान करीने तेणे अशोकने प्रसन्न कर्यो. अशोके पूछयुं, 'तने शुं आपुं?' त्यारे कुणाल बोल्योः
चंदगुत्तपपुत्तो य बिंदुसारस्स नत्तुओ।
असोगसिरिणो पुत्तो अंधो जायइ कागिणिं ॥ (चंद्रगुप्तनो प्रपौत्र, बिन्दुसारनो पौत्र अने अशोकश्रीनो अंध पुत्र काकिणी मागे छै.)
अशोके पुत्रने ओळख्यो अने आलिंगन कर्यु. अमात्योंए का के 'राजपुत्रोनी बाबतमा काकिणीनो अर्थ राज्य थाय छे." पछी कुणालना पुत्र संप्रतिने राज्य आपवामां आव्यु.
आ वृत्तांतमांनी बधी व्यक्तिओ ऐतिहासिक छे.
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