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________________ विशेष स्वरूपे विचारणा करवामां आवी हती. श्री. रत्नमणिराव भीमराव गुजरातनो सांस्कृतिक इतिहास लखतां कांईपण ज्ञानसाधन रही न जाय एनी तकेदारी राखे छे. प्रो. अबुझफर नदवीए पण मुस्लिम बधा साधनोनो उपयोग करी सांस्कृतिक इतिहास लखी राख्यो छे. सामग्री उपरथी इतिहासने फलित करवानी दिशामां पिष्टपेषण करतां विशेष प्रगति करवी होय तो हवे नवां साधनोनी शोध करवानो अने एने उपलब्ध करवानो प्रयत्न थवो जोईए एम लागवाथी संशो. धन विभागे प्रारंभमां आ बीजी दिशामा कार्यक्रम योज्यो. १९३३ मां आचार्यश्री मुनि जिनविजयजीए गुजरात साहित्य सभाना मानार्ह सभ्य तरीके प्राचीन गुजरातना सांस्कृतिक इतिहासनी साधनसामग्री उपर विचारप्रेरक अने वृत्तिप्रेरक व्याख्यान आप्युं हतुं. ए मार्गे पोते असाधारण श्रम उठावी कार्य करे छे अने सिंघी जैन ग्रंथमाळामां अने ए पूर्वेनां एमनां प्रकाशनोमां पोते संशोधित संगृहीत सामग्री प्रकट कर्ये जाय छे. संशोधन विभागनी योजनामां बे खाणोमांथी साधनो बहार काढवानो अमारो कार्यक्रम ए ज दिशामां वीजो फांटो छे. एक खाण ते पुराणो अने बीजी जैन आगमो-नियुक्तिओ-भाष्यो-चूर्णिओ. आ बने आकरोमां इतिहासनां साधनो माटे जे 'खोदकाम' थर्बु जोईए ते थयेलं नहि; एथी आ दिशामां भो. जे. विद्याभवन तरफथी आदरवामां आवेली प्रवृत्तिना प्रथम फळ तरीके अध्यापक उमाशंकर जोषीए तैयार करेल पुराणोमां गुजरात ए ग्रंथ १९४६ मां प्रसिद्ध करवामां आव्यो, त्यारे बीजुं फळ ते आ जैन आगमसाहित्यमां गुजरात प्रसिद्ध थाय छे. ____ जैन आगम साहित्यमान लगभग पांच लाख श्लोक पूर संस्कृत प्राकृत साहित्य जोई वळी स्थळप्रतीको तारववान भिन्न भिन्न आगमो-अने ए उपरना साहित्यमांना उल्लेखोने एकत्रित करवान, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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