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व्यक्ति पुरवार थया छे अने ए सिवायना बावीस तीर्थंकरो पैको केटलाकनी ऐतिहासिकतानां प्रमाणो मळे तो नवाई जेवू नथी. बौद्ध ग्रन्थ 'महावग्ग' (१. २२, १३) अनुसार बुद्धना समयमां राजगृहमां सातमा तीर्थकर सुपार्श्वनाथनु मन्दिर हतुं. ए जे ग्रन्थ जणावे छे के आजीवक संप्रदायनो उपक नामे तपस्वी अनंतनाथनो उपासक हतो. जैनो अने आजीवकोना गाढ ऐतिहासिक संपर्कनो विचार करतां आ अनंतनाथ ते चौरमा तीर्थकर संभवे छे. अलबत, आवां प्रमाणो तार्किक दृष्टिए सुपार्श्वनाथ के अनंतनाथनी ऐतिहासिकता पुरवार करे के केम ए विशे मतभेद रहेवानो, पण महावीरना समयमां तेमज ए पूर्वे प्राचीनतर तीर्थंकरो पूजाता हता ए हकीकत तो एमाथी निर्विवादपणे फलित थाय छे. नेमिनाथना विषयमा वात करीए तो, मात्र पछीना काळनां चरित्रोमां ज नहि, परन्तु भाषा छंद तेमज अन्य दृष्टिबिन्दुए सौथी प्राचीन पुरवार थयेला मूल आगमग्रन्थोमां नेमिनाथ विशे तेमज यादवोना इतिहास विशे पुष्कळ सामग्रो मळे छे. 'वसुदेव-हिंडी' जेवा प्राचीन कथाग्रन्थनो ठीक मोटो गणी शकाय एवो अंश ए वृत्तान्त वडे रोकायेलो छे, ज्यारे बीजी तरफ पुराणादिमां भागवत संप्रदायना कथयितव्यने रजू करवामां उपयोगी थाय एटले ज अंशे यादवकुळना वृत्तान्तनो विनियोग करवामां आव्यो छे. आ बधुं जोतां नेमिनाथनु इतिहासमां अस्तित्व नहि होय अने तेओ केवळ देवकथानी ज व्यक्ति हशे एवो तर्क भाग्येज साधार गणाशे. पुराणकारोए श्रीकृष्णना चरित्रनी आसपास यादवकुळनो इतिहास ग्रंथवा माटे नेमिनाथना जीवनवृत्तान्तने जाणी जोईने पडतो मूक्यो हशे एवी कल्पना थाय छे. ___ जैन कथाओमा आवतां सांबनां तोफानो श्रीकृष्णनां बालचरित्रोनी याद आपे छे. (पृ. १८९-९२ )..
गुजरातना मध्यकालीन इतिहासने लगती एक अनुश्रुति प्रमाण
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