SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४ विद्याध्ययन: प्राचीन विद्याध्ययननी घणा अगत्यनी परंपराओ--- खास करीने जैनोने संयंत्र छे त्यांसुधी - आगमसाहित्यमां सचवायेली छे. वेदोना परंपरागत संक्रमणनी जेम आगमोनां संकलन अने संगोपननी पाछळ स्मृति अने बुद्धिना महान पुरुषार्थी रहेला छे. प्राचीन काळथी मांडी आगमवाचना (पृ. ८३, ८४, ९४ ) ए गंभीर अध्ययनने पात्र विषय छे. आगमोनी रचना पूर्व भारतमां थई, पंण ए लेखाधिरूढ पश्चिम भारतमां थयां ए पण जैन धर्मना इतिहास अने तेनां दशान्तरो माटे एक पात्र हकीकत छे. मध्यकाळमां गुजरातनी संस्कारितानुं तेमज गुजरातमां जैन धर्मनुं प्रमुख केन्द्र अणहिलवाड पाटण हतुं. आचार्य हरिभद्रनी टीकाओ सिवाय आगमो उपरनी बधी मुख्य टीकाओ अणहिलवाड के आसपासना प्रदेशमां रचायेली छे (पृ. ८-९ ). आगमोना विवेचनमां रोकायेला पंडितो परस्पर सहकारथी कार्य करता हता. नवांगी वृत्तिकार अभयदेवसूरिनी टीकाओनी सहाय विना पछीना काळमां गमे तेवा प्रकांड पंडित माटे पण आगमोना अर्थों समजवानुं मुश्केल थई पडत. एमनी ए टीकाओनुं शोधन द्रोणाचार्ये क हतुं ( १०-१२ ) द्रोणाचार्यनी सहायमां एक पंडितपरिषद हती. द्रोणाचार्य ए पाटणना चौलुक्य राजा भीमदेव पहेलाना मामा हता अने तेमणे पोते ' ओघनियुक्ति ' उपर टीका रची इती (पृ. ८३ ). ' आचारांग सूत्र' अने ' सूत्रकृतांग सूत्र' उपर टीकाओ लखनार शीलाचार्य अथवा शीलांक ते पाटणना स्थापक वनराजना गुरु शीलगुणसूरि एवी एक अनुश्रुति छे, एटले अणहिलवाडमां आगमोनुं अध्ययन ओछामां ओलुं ए नगरनी स्थापना जेटलं जूनुं छे, अने एनो वारसो हरिभद्राचार्य आदि राजस्थानमां थयेला टीकाकारो तरफथी मळेलो छे. पाटणमां थयेला आगमोना बीजा महान टीकाकारो मलधारी हेमचंद्र (कलिकालसर्वज्ञ हेमचंद्रथी भिन्न ) o आचार्य मलयगिरि छे. मलवारी हेमचंद्रने मळवा मादे राजा 7 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy