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________________ साथ ] करवा माटे गोखमाथी पडतुं मूकती हती, तेने बचावीने अमे अहीं लाव्या छीए.' पछी कृष्णे उग्रसेननु सान्त्वन कर्यु अने बधा सुखपूर्वक रहेवा लाग्या. एक बार भगवान अरिष्टनेमि हास्वतीमां समोसर्या. एमनेा उपदेश सांभळीने सागरचन्द्रे एमनी पासे दीक्षा लीधी. ए पछी एक वार सागरचन्द्र शून्यगृहमा एकरात्रिकी प्रतिमामा रहेला हता त्यारे धनदेवे एमना वीसे नखमां त्रांबानी सोयो ठाकी. दीधी. आधी सागरचन्द्र मरण पाम्या. बीजे दिवसे तपास करतां त्रांबाना कारीगर पासेथी मालूम पड्यु के आ सोयो धनदेवे घडावी हती. क्रोधायमान थयेला सांब आदि कुमारोए धनदेव पोताने सोंपी देवामां आवे एवी मागणी करी. परिणामे यादवोना बे पक्षो वच्चे युद्ध भ्यु, परन्तु देव थयेला सागरचन्द्रे बन्नेने शान्त कर्या. पछी कमलमेलाए पण भगवान अरिष्टनेमि पासे दीक्षा लीधो. .. एक वार जांबवतीए कृष्णने कह्यु के 'मारा पुत्रनुं कोई तोफान हजी जोवामां आव्यु नथी,' त्यारे कृष्णे कडं के 'काई वार बतावीश.' पछी कृष्ण पोते आभीर थया अने जांबवतीए आमीरीनुं रूप लोधु, अने तेओ द्वारवतीमा दही वेचतां फरवा लाग्यां. सांबे जांबवतीने जोईने दहीं लेवा बोलाको; अने पछी तेने एकलीने पराणे एक देवळमां खेंचो जवा लाग्यो. पाछळथी आभीरना रूपमां कृष्ण आव्या, अने बन्ने वच्चे युद्ध थयु. आभीर कृष्ण वासुदेव थया अने आभीरी जांबवतीरूपे प्रकट थई, एटले माबापथी शरमायेलो सांब अवगुंठन करीने नासी गया. बोजे दिवसे यादवोनी सभामा एने पराणे बोलाववामां आव्यो त्यारे ते लाकडानो एक खोलो घडतो घडतो आव्यो. कृष्णे एनुं कारण पूछतां ते बोल्यो, 'जे गई कालनी बात कहेशे एना मुखमां आ ठोकवानो छे." १ आम, पृ. १३६-३५; आचू, पूर्व भाग, पृ. ११२-११४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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