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[ माध्यमिका. .....चितोडनी दक्षिणे आवेलं 'नागरी' नामे स्थान माध्यमिका छे एवो विद्वानोनो मत छे. हाल पण माध्यमिकामां केटलाक विरल प्राचीन अवशेषो छे.
१ विसू, २-५
२ ज्योडि, पृ. ११६ मालव-१
एक अनार्य जाति, जेना नाम उपरथी अवन्ति जनपद मालब तरीके प्रसिद्ध थयो.' आगमसाहित्यमां 'मालव' जातिने ' म्लेच्छ जाति' तथा ' मालव ' देशने ' म्लेच्छ देश' कह्यो छे. आ मालव म्लेच्छो पर्वतमाळाओमा रहेता अने वस्तीमां आवोने माणसोनुं हरण करी जता. 'निशीथचूर्णि' कहे छे के तेओ मालव नामना पर्वत उपर विषम प्रवेशमा रहेता.' केटलाक ग्रन्थोमां — मालब' तेम ज 'बोधिक 'ने अभिन्न गण्या छे तथा तेओना आक्रमणनो भय आवी पडतां शीघ्र देशान्तर करवु एवं सूचन करेलं छे. मालवने ' स्तेन 'चोर तेम ज ‘उज्जयिनीतस्कर" कह्या छे. आ बीजा विशेषण उपरथी तेओ उज्जयिनी आसपासना प्रदेश उपर वारंवार आक्रमण करता ए हकीकत सूचित थाय छे. उज्जयिनीना एक श्रावकपुत्रने चोर हरी गया हता अने तेने ' मालवक '-मालवदेशमा सूपकारने त्यां वेच्यों हतो, एवं कथानक मळे छे. मालब जातिना आक्रमणकारोनी उज्जयिनीमां केटलो धाक हती एजें एक विशिष्ट दृष्टान्त ' ओधनियुक्ति 'ना भाष्यमा छे, जेनुं स्पष्टीकरण द्रोणाचार्यनी टीका करे छे. ए दृष्टान्त वास्तविक न होय तो पण परिस्थितिनुं द्योतक तो अवश्य छे. द्रोणाचार्य लखे छः उज्जयिनीमां वारंवार मालवोनु आक्रमण थतुं अने तेओ मनुष्योने हरी जता. एक वार कूवामां रहेंटनी माळा पडी गई ( माला पतिता); कोई बोल्यु के ' माळा पडी.' बीजो कोई संभ्रममा एम समज्यो के
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