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[ नागवलिका नागवलिका
आ कोई नगरनुं नाम छे अने तेनो आनंदपुरनी साथे उल्लेख छे. आनंदपुरमा जेम यक्षपूजा थती तेम नागवलिकामा नागपूजा थती.'
नागबलिकानुं स्थान निश्चित थई शक्यु नथी.
१ इंदमहे इंदो, खंदो महासेणो, सद्दो रुइमहे, मुगुंदो बलदेवो, णागा णागवलियाए, जक्खा आणंदपुरे सिद्धा चेव, आसूचू , पृ ३३१. नागार्जुन आर्य
वीरनिर्वाण पछी नवमी शताब्दीमां (आशरे ईसुनी चोथी शताब्दीमां)' मथुरा अने वलभी एम बे स्थळे अनुक्रमे स्कन्दिलाचार्य अने नागार्जुन एम बे आचार्योए आगमवाचनानुं कार्य कयु. दुर्भाग्ये आ बे आचार्यो परस्परने मळी शक्या नहि, तेथी तेमनी वाचनाओमां केटलाक भेद रही गया. देवर्द्धिगणिए ईसवी पांचमी शताब्दीमां व्यारे आगमो लिपिबद्ध कराव्यां त्यारे स्कन्दिलाचार्यनी माथुरी वाचनाने मुख्य वाचना तरीके स्वीकारी अने नागार्जुननी वालमी वाचनाना पाठोनो निर्देश 'वायणंतरे पुण' एवी नोंध साथे कयों.' पछीना समयनी टीकाचूर्णिओमां पण नागार्जुनीय वाचनानी स्कन्दिलाचार्यनी वाचनाथी भिन्नता 'नागार्जुनीयास्तु पठन्ति' ( नागार्जुनना अनुयायीओने अनुमत पाठ आवो छे ) एवा उल्लेख साथे नोंधवामां आवी छे.
१ ‘वीरनिर्वाण संवत् और जैन कालगणना,' पृ १०४. २ जुओ कसू ने अंते.
३ उदाहरण तरीके उचू, पृ. ९९; उशा, पृ. १८६, २६३, २९.; आशी, पृ. १५०, १६६, १८०, २१६, २२२, २२८, २३२, २७४, इत्यादि.. नारद
शौरिपुर नगरना यज्ञयश तापसना पुत्र यज्ञदत्त अने पुत्रवध
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