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________________ दशपुर ] [८३ थावच्चापुत्रने प्रव्रज्या लेवानी इच्छा थई. माताए तथा वासुदेवे अणु समजाव्या छतां व्यारे एनो निश्चय चलायमान थयो नहि त्यारे वासुदेवे घोषणा करावी के 'जेओ मृत्युभयनो नाश करवा इच्छता होय छता संबंधीओना योगक्षेमनी चिन्ताथी तेम करी शकता न होय तेओ थावच्चापुत्रनी साथे दीक्षा ले; एमना संबंधीओनो निर्वाह हुँ करीश.' आथी केटलाक विचारक युवानोए थावच्चापुत्रनी साथे दीक्षा लीधी. पछी थावच्चापुत्रे तीर्थकरना स्थविरो पासे चौद पूर्वोनुं अध्ययन कयु. पोताना अंतेवासी बधा युवानोने तीर्थकरे थावच्चापुत्रने एमना शिष्य तरीके सौंपी दीधा. पछी विहार करता थावच्चापुत्रे शैलकपुरना शैलक राजाने उपदेश आप्यो अने ५०० मंत्रीओ सहित तेने श्रमणो पासक बनाव्यो. सौगंधिका नगरीनो नगरशेठ सुदर्शन शुक नामे परिव्राजकना उपदेशथी तेना शौचमूलक प्रवचनमां मानतो हतो तेने पण थावच्चापुत्रे श्रमणोपासक बनाव्यो, एटलं ज नहि, सुदर्शननो गुरु शुक पण थावाचापुत्रनी वाणी सांभळी पोताना हजार तापसो सहित तेमनो शिष्य थयो. छेवटे थावच्चापुत्र पोताना परिवार सहित पुंडरीक ( शत्रुजय ) पर्वत उपर गया अने अनशन करीने सिद्ध, बुद्ध अने मुक्त थया.' १ ज्ञाध, श्रु. १, अध्य. ५ (शैलकज्ञात ) दण्डकारण्य जुओ कुम्भकारकट दशपुर माळवामां आवेलं मंदसोर.' दशपुरनी स्थापना केवी रीते थई एनो परंपरागत इतिहास आम आपवामां आवे छेः वीतभय नगरना राजा उदायन पासे जीवंतस्वामी महावीरनी गोशीषचंदननी सुन्दर काष्ठप्रतिमा हती ते उज्जयिनीनो ११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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