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________________ कृष्ण बासुदेव ] [ ४९ ન 'वसुदेव - हिंडी' ना कथन प्रमाणे आनर्त, कुशावर्त, सुराष्ट्र अने शुक्रराष्ट्र ए चार जनपदो पश्चिम समुद्रने किनारे आवेला हता, अने ए जनपदोनी प्रधान नगरी द्वारवती हती. हवे, प्राचीनतर शौरिपुर यमुना नदीना किनारे हतुं अने शौरि राजाए पोताना नाना भाई सुबीरने ते सोपीने पश्चिममां कुशावर्तमां जईने शौरिपुर नामे नगर वसायुं हतुं अने यादवो पण जरासंधना भयथी पश्चिममां द्वारवतीमां जईने वस्या हता. आ उपरथी अनुमान थई शके के कुशावर्त तेम ज शौरिपुर बे हतां - एक उत्तरमां अने बीजुं पश्चिममां. स्थळान्तर कर्या पछी नवां स्थानोने जूनां नामो आपवानुं जातिओनुं वलण जाणीतुं छे. ૩ १ बृकभा तथा बृकक्षे, भाग ३, पृ. ९१२ - १४ सूकृशी, पृ. १२३. २ ' वसुदेव - हिंडी' (मूल), पृ. ७७, अनुवाद, पृ. ९२. ३ जुओ शौरिपुर. कृष्ण वासुदेव जैन पुराणकथा प्रमाणे, नव वासुदेवो पैकीना छल्ला - नवमा वासुदेव, यादवोना नेता; बावीसमा तीर्थंकर नेमिनाथना काकाना दीकरा भाई. एमने माटे देवोए पश्चिम समुद्रने किनारे द्वारवती नगरी बसावी हती. कृष्ण वासुदेवनो प्रतिवासुदेव जरासंध हतो. प्रद्युम्न, सांच, भानु, सारण, जालि, मयालि, उवयालि, पुरुषसेन, वीरसेन आदि कृष्णना पुत्रो हता. श्री कृष्णनुं संपूर्ण चरित्र आगमसाहित्याना एके ग्रन्थमां नथी. 'त्रिषष्टिशला कापुरुषचरित्र' जेवा ग्रन्थना नेमिनाथचरित्र 'मांथी तथा अन्य नेमिनाथचरित्रोमांथी तेमज दिगंबर परंपराना पण ए प्रकारना ग्रन्थोमांथी जैन परंपरा अनुसारनुं एमनुं चरित्र संकलित थई ७ Jain Education International 6 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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