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लिखाने का उत्साह भी अपूर्व था। " सबबादशाही संघ का प्रयाण बादशाही संघ का स्वागत बादशाही
संघ में हुई अनुमोदनीय संघ में प्रभु भक्ति का माहौल बादशाही |
आराधना एकाशन व्यवस्था बादशाही
प्रतिदिन ५० से १०० एक आयंबिल साधर्मिक भक्ति बादशाही
चर्तुदशी को १२५ पौषप १५०
आयंबित सभी का सम्मान बादशाही
पोष दशमी को ५० से उपर अद्रुम कुमारपाल आरति बादशाही
पोष दशमी को ५० से अधिक तीन अनुकंपादान बादशाही
एकासन आराधना सभी के स्वागत बादशाही
प्रतिदिन पोषध करनेवाले, वर्षीतप के मगर संघपति सादाशाही आराधक ५० से ज्यादा मौनपूर्वक नवे कभी आगे रहे....
आराधना आदि विशिष्ठ तपस्या न कभी जरीयन कुर्तो में... न कभी साफा में बस वे थे सादाशाही धन्य शासन धन्य संघ... धन्य संघपति
रात्रि बहुमान कार्यक्रम का तो कोई शानी ही नहीं, सभी यात्रिकों का चरण पक्षालन , संघ पूजा भक्ति की रमझट, संघपतिओं की संवेदना यात्रिकों की भावना, राति १२ बजे तक सभी का तिलक माला, श्रीफल मोमेन्टो, संघ पूजा, अष्टमंगल पाटली, मीठाई बोक्स सम्मान, यात्रिकों द्वारा संघवीजी का भव्य बहुमान। कार्यकर्ताओं का सम्मान, उपकार स्मृति आदि से सभी के नयन अनुपूरीत थे। यहाँ से जाने का सब को गम था। ता.३०-१२-२००८ प्रभु पूजा आदि कार्यक्रम पूर्ण कर प्रातः ८ बजे मालारोपण विधि प्रारंभ हुई। आज तो मेला लगा था, सभी के संबंधी अनुमोदन करने आ चुके थे। सभी को तिलक आदि से सम्मानित किए मुगट बद्ध ६३ माला पहननेवाले सभी को देख मानो देवलोक जैसा वातावरण लग रहा था। खूब शान्ति- प्रसन्नता के साथ मालारोपण हुआ। सभी ने संघवीओं को अक्षतों से बधाया अतिपिओं का सम्मान किया गया। आज शाही करबा एवं नवकारशी का अपूर्व आयोजन संघवी परिवार की तरफ से था, सभी कर्मचारी गण का भी सम्मान किया गया। शाम को सभी को करबद्ध होकर विदा दी गई। वाह संघवीजी विनम्र उत्साहसभर समय
शा भंवरलालजी रांका एवं अरुण, प्रदीप सदा हसते कार्यरत प्रसन्नमूर्ति
शा जयन्तिलालजी बाफणा एवं कल्पेशकुमार अल्पभाषी सभी कार्यों में उत्साह भर भाग लेते आयोजनरत
शा जीवराजजी ओस्तवाल एवं नरेन्द्रकुमार विनम्र, उदार, सरलमना ,प्रभुप्रेमी, सरलता की मूर्ति
शा हस्तीमलजी भंडारी अशोक, सोहन, वसंत सभी कार्यक्रमों के विचारशिल्पी उत्साहवर्धक प्रभु भक्ति प्रेमी
प्राध्यापक सुरेन्द्रभाई गुरुजी एवं प्रदीप, विराग वाहसंपवणजी रथ में प्रातः प्रभुजी को लेके बैठना, सभी को प्रणाम वंदन सामैया सभी में व्यस्त
आराधनाप्रेमी कुसुमवेन भंवरलालजी रांका संयम प्रेमी शकुंतलाबेन जयन्तिलालजी वाफणा ५०० आयंबिल तपस्वी लीलाबेन जीवराजजी ओस्तवाल
९ वे वर्षीतप तपस्वी सायरबेन हस्तीमलजी भंडारी ७३ वर्षीतप के तपस्वी रमीलाबेन सुरेन्द्रभाई शाह
संघ को सफल बनानेवाले कर्मठ कार्यकर्ता जयन्तिभाई चिमनलाल (काका) हसमुखलाल सी. शाह प्रदीपभाई एस. शाह पारसभाई, कान्तिभाई, चम्पालालजी अनीलजी, भरतजी, ललितजी, भाईलालभाई पंडितजी, अशोकभाई. संदीपभाई दिनेशभाई, आशिष, धीरुभाई अंकितकुमार (बम्बइ) रंगोली अर्पित, सुशील, संजय, मुकेश, फाल्गुणीबेन,मीनाबेन, पींकीबेन कल्पना, ममता, अमीता, नीता लन्धिग्रुप एवं सुरत ग्रुप रजनीभाई, मनोज, पारस, अभिषेक, योगेश, कौशिक प्रियंका, नीता, ममता, कौशल चामरों से नृत्य करते छोटे बच्चे, आदित्य, दिव्य(बिट्ट), प्रथम, मेहुल, प्रीत, साहुल -------------------- यात्रिकों के उद्घार नहीं देखा ऐसासंघहमने........ * संघ जेणे जोयो हशे ते धन्य छे... * सभी संघ में यह संघ शिरमौर है। ... * आज तक के सभी संघों में श्रेष्ठ संघ मानना ही पडेगा... * इतिहास में ऐसा संघ शायद ही निकला होगा। ... * मेरा सीभाग्य है कि मुझे इस संघ में जुटने का मौका मिला। ... * अरबोपति एवं क्रोडपतिओं के संघ से यह संघ अद्भूत है। ... * करोडो खर्च करनेवाले भी ऐसा संघ नहीं निकाल सकते... * जो इस संघ में जुट गये वो धन्य हो गये... * जब कभी ऐसा संघ निकले ! हम जरुर जुटेंगे... * अब तो लगता है यह संघ इतने कमदिनों का क्यों ?
दो चार मास का होना चाहिये । * हमें कल्पना भी नहीं थी कि ऐसा भी संघ होता है। ......... * इतनी भव्यता उदारता भक्ति किसी संघ में नहीं देखी।.... * भोजन की उदारता तो सभी में होती है किन्तु भजन भक्ति का ऐसा माहौल तो एक भी संघ में नहीं देखा........ * संघ को यशस्वी बनाना हो एवं धन को सार्थक करना हो तो गुरुजी को अवश्य संघ में साथ रखना ही चाहिये।............ ** सुरेन्द्र गुरुजी तो निराला व्यक्तित्त्व है ,तेरह वे वर्षीतप के तपस्वी मगर कभी थकते ही नहीं भयंकर ठंडी में भी प्रात:गाँधी कपड़ों में पैदल चलना, घंटो तक रास्ते में धून लगाना, प्रभु भक्ति में सभी को जोडना यह किसी सामान्य व्यक्ति में नहीं होता....... * मै तो कहता हुँ ऐसा संघन भूतोनभविष्यति........ * जहाँजहाँयह संघ वहाँसदालीला लहेर... * मेरे मन में भी निरंतर ऐसा ही संघ निकालने की भावना है।... *जिसने इस संघ का दर्शन नहीं किया उसका जीवन बेकार गया। ......
जब तक रहेगा गगन में चाँद
सब के नयन अश्रुपूरित थे, जुदा होने की वेदना सभी के चेहरे पर थी। पुनः पुनः ऐसे आयोजन हो की भावना के साथ सब विदा हुए मगर यह संघ इतिहास के पृष्टों में अमिट स्मृति छोडगया।
और रहेगा दरिया में पानी तब तकसदा अमर रहेगी यह छ:री पालित संघ की कहानी
ACHADHALCRIVA
A
MANMANDLA
Am
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