SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २७: એતિહાસિક સજઝાયમાલા. बिच बिंदु परइ हर अंसुझरइ दुनिधार अपार इसी नीकली, मुनि हेमके साहिलं देषनकुं उग्रसेनकिलाल अकेसि चली. ७ कहि राजमति सुमती सपि अन्नकुं, एकषिणे कपरी रहु रे, __ सपि री सघरी अंगुरी मुहि बाहि. करत्ति बहुच इसेनिहुरे; अबही तबही कवही जबही यदुरामकुंजाम इसि कहुरे, मुनि हेमकि साहिब नेमिजी झे अबतोरण तिं. तुम्ह क्युं बहुरे... 30 श्रीविजयसेनसूरि स्तुतिः शिरि सिंथि सिंदूर मृगम्मदपूर चूरिउ कपूर अबीरके वासभरी कंचुरी, तनु चंदन चंग पानमुखरंग गहो सखि संग ज्युं हास विलास बहुत्त करी; मुगताफल थाल भरी ज्यु विसाल गाउत्ति रसाल श्रृंगार किई गिहतिं नीसरी, नुष हेमके स्वामि विजयसेन नाम । तपगच्छ रामजु वंदनकुंचलियां मिहरी. ९ अद्धसासभाल कपोल विसाल वचनाप्रसाल जिसी सिलरी, सुवण्णकी कंति देह अलकति दंतकी ज्यु पंति रतन जरी दिलमि ज्यु अथाह तपगच्छनाह सुकोमल बाह भली अंगुरी, कहइहेमविजय विजयसेनगुरुमुख देषतः दुर्गविदरटरी १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005028
Book TitleAetihasik Sazzaymala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1997
Total Pages140
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Devotion, & Worship
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy