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ઐતિહાસિક સમયમાલા. जबलार्ग मेरुमंडित महीमोहए,
जबलार्ग ओपए अचल अवनी धनी; तबलगि हेम कहि हरषसुं हीरजी
जीव तुं जीव तुं जीव तपगछधनी. १ जबलगि ईस जगदीसके अंगसुं रही,
आलिंग करि तुहिनगिरिनंदनी; जबलगि नंदके नंद आनंदसुं करग्रही,
नेह करि नीरनिषिनंदनी; जबलगि इंदुसुं अतिर्हि आदर करइ,
राग धरि राति दिन दक्षकी नंदनी. तबलगि० २ जबलगि सबल सन्नेहसुं संमुही,
आवए अंबुनिधिके बहुत बाहिनी जबलगि आपणे अवल आदरि अमर,
राजमुं रंग भरि रमति जयवाहिनी जबलगि धरति धुयधाम धनधोरणी,
जबलगि गहनगंगा गगनगाहिनी. तबलाग० ३ जबलगि इंद्र आवसि अहनिस करइ,
सचिवकी सीष संभाल सुरगुरुगुनी; जबलगि गगनमंडलमहल मोहते,
सोभते सकल संवाद सातुं सनी; जबलगि भूरिभूपाल भूषण भले,
जोतिजुत जनति मनि रोहणाचल खनी. तबलाग०४
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