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कम
कम
'कम
चौद राजलोक
कर्म
तिरंग
(समस्त लोकालोक के शाश्वत ज्ञान दर्शन को धरनेवाले) अप्पडिहय-वर-नाणदंसण-धराणं
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पक प्रमा
कम
कम
कम
लोक
कम
वांसला और चंदन की ओर समान वृत्तिवाले होकर
छद्म कर्म के आवरण दूर करनेवाले वियट्टछउमाणं
1 सवज्ञ-सवदशा,
अचल - अरुज अनत अक्षय-अव्याबाध अपुनरावृत्ति सिद्धिगति-नाम-स्थान- संप्राप्त
मुत्ताण मोअगाणं
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बुद्धाणं बोहयाणं
तिण्णाणं तारयाणं
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जिणाणं जावयाणं
मोक्षनगर में प्राप्त
कैवल्य बोधवाले
बुद्ध
अज्ञान समुद्र को तैरनेवाला
मोह को जीतनेवाला