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________________ बरलूट गांव का इतिहास पतनतमी माटीनी २म... मीरवी ती भीतर... 4-मनी मोगन... पुश्शुपती ५२... इतिहास के पन्नो पर... बलद - ऊँट... बलदूट... बरलूट... दंतकथा एवं गीतरूपक के अनुसार बरलूट (बलदूट) गांव का इतिहास इस प्रकार है । किसि समय एक क्षत्रिय राजा शिकार खेलता हुआ वीरभूमि मरूभुमि में आ पहुंचा । यहा एक सिंह को देखा, राजा ने धनुष बाण चढाया, सिंहने प्राण बचाने हेतु भागना शुरू किया । नरकेसरी ने वनकेशरी का पीछा कर बाणों से घायल किया । घायल सिंह आगे बढता हुआ उस जगह पर पहुंचा, जहाँ आज बरलूट गांव स्थित है, मेघराजा के आगमन से भूमि हरियाली से आच्छादित हो गई थी। उक्त स्थान पर लाखो, वणझारा एवं अन्य व्यापारियों ने पडाव डाले थे । उनके बैल (बलद) तथा ऊँट चारा चर रहे थे । सिंह को देखकर पशु जरा भी घबराये बिना सिंह के पास पहुंच गए और ममता जताते हुऐ उसे चाटने लगे। सिंहने भी अपनी हींसकवृत्ति छोड दी । और ममता बांध ली । यह दृश्य देखकर राजा आश्चर्यचकित हो गया और पाटनगर लौट कर वह शैवर्मि राजाने अपने विद्वान विप्रो एवं संत महंतो को बुलाकर इस दृश्य का रहस्य पूछा, परंतु संतोषकारक उत्तर न मिला । जैन धर्म के तत्त्वो में निपुण श्रावक पटवर्धन जो कि राजा के मंत्री थे। उनकी सलाह पर नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान महान तर्क तत्त्व और सिद्धांतवेत्ता जैनाचार्य श्री शीलगुणसूरिजी महाराज के पास पहुंचे । ज्ञानीगुरू भगवंत ने राजा की शंका का समाधान दिया कि जिस भूमि पर तीर्थंकरों का विचरण हुआ हो, जहाँ देवताओ द्वारा अनेक बार समोवसरण की रचना हुई हो, जिसमें अनेक संत महंत उच्च भावनावाले भाविको का धर्मदेशना श्रवण हेतु पदार्पण हुआ हो, वहाँ तिर्थंकर एवं अन्य सभी उच्च भावनावाले जीवों का उच्च परमाणुओ का जथ्था भूमि के साथ घट्ट हो जाता है। ऐसी पूनित भूमि के स्पर्श Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004969
Book TitleAgam 41 Mool 02 Pind Niryukti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanssagar Gani
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages434
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_pindniryukti
File Size22 MB
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