________________
कटिं मुंच २, जानुं मुंच २, पादं मुंच २, आच्छेदय २, क्रों भेदय २, -हीं मर्दय २, क्षी बोधय बोधय हर्च्यूं घूर्मय २, र र र र र रां रां सं घं पातय २, पर मंत्रान् स्फोटय २, ॐ -हाँ -ही -हूँ-हौँ -ह: घे घे फट् स्वाहा, अस्मिन् दलमध्ये प्रवेशय २, पात्रं गृहाण २, आवेशय २, ग्रासय २, पूरय २, खण्ड २, कंप २, कंपावय २, ग्राह्य २, शीर्ष चालय २, भालं चालय २, नेत्रं चालय २, वदनं चालय २, कण्ठं चालय २, बाहूं चालय २, हस्तं चालय २, हृदयं चालय २, ग्रात्रं चालय २, सर्वांगं चालय २, लोलय २, कंप २, कम्पावय २, शीघ्रं अवतर २, गृहाण २, चालय २, आवेशय २, ॐ क्षम्ल्व्यूँ ज्वालामालिनी - हाँ क्ली, ब्लू, द्राँ, द्रौँ, क्षाँ क्षी, यूँ क्षौँ क्षः ह्रः सर्व दुष्ट ग्रहान् स्तंभय २, पूर्वं बंधय २, दक्षिणं बंधय २, पश्चिमं बंधय २, उत्तरं बंधय २, ठः ठः हूँ फट् २, घे घे रम्ल्ब्यूँ ज्वालामालिनी -हीं क्लीं ब्लूँ द्राँ द्रीं ज्वल २ र ७, रां २, प्रज्वल २, घग २, धूं २, धूमांधकारिणी ज्वल २, ज्वलित शिखे, प्रलय धग धगित वदन, देव ग्रहान् दह २, नाग ग्रहान् दह २, यक्ष ग्रहान् दह २, गंधर्व ग्रहान् दह २, ब्रह्म राक्षस ग्रहान् दह २, सर्व भूत ग्रहान् दह २, व्यंतर ग्रहान् दह २, सर्व दुष्ट ग्रहान् दह २, शतकोटी देवतान् दह २, सहस्र कोटी ग्रहान् दह २, सहस्त्रकोटी पिशाच राजान् दह २, घे घे स्फोटय २, मारय २, दहनाक्षि पलय धग २, धग धगितमुखि, ॐ ज्वालामालिनी -हाँ -हीं -हूँ -हौँ -हः सर्व दुष्ट ग्रह हृदयं हूं दह दह, पच २, छिन्धि २, भिन्धि २, हः २, हे हे, हूं फट् २, घे २, ॐ भम्ल्व्यूँ ज्वालामालिनी -हीं क्लीं ब्लूँ द्राँ द्रौँ भ्राँ भी भ्रौँ भ्रः हाः
.८१. Jain Education International For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org