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प्रातर्ये
समणे
| पेज नं| पंक्ति अशद्ध पाठ
शब्द पाठ सर्वदाः
सर्वदा नमः
नमो नमः प्रातःये प्रातः उत्थाय
प्रातरुत्थाय नंदितः
नन्दसम्पदाम् स्मरणात् जापात् स्मरणाज्जापाल फुट्
फट १७४
सुमणे नोंध :- (1) पृष्ठ १७२ से १८३.२४ वर्धमान विधामें जर्हा-आरियाणं
शब्द है वहाँ आयरियाणं पाठ शुद्ध है । (2) पृष्ठ ९१ पंक्ति १६, 'सप्तमं रक्षेन्नाभ्यंतं. पादान्तमष्टमं
पुनः' पाठ है वहा 'नाभ्यन्तं सप्तमं रक्षेत् रक्षेत्
पादान्तमष्टमं' करना (3) पृष्ठ १२४ गाथा ही रत्नैः तथा सा सर्वगात्रेषु जापेषु
सर्वाणि इतना सुधारना । प्रतिष्ठा, अंजनशलाका, शांतिस्नात्र आदि विधानो में जो मुद्रा बताई जा रही है उस पर निश्रादाताओं को विचार करना आवश्यक है ।आज प्रायः निर्बीज मद्रा की जा रही है अपेक्षा सहित के विधानो में सबीज मुद्राए बतानी चाहिए । मुद्राओं का परिशीलन करके अज्ञात प्रथाओं को अपनाओ ताकि विधान शीघ्रफलदायी बने । ___ - विद्या प्रवाद पूर्व। मंत्र-मुद्राविशारदों का कथन
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