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चतुर्विंशति वर्धमान विद्या मजा श्री अहँ नमो अरिहंताणं, मुनी श्री अहँ नमो सिद्धाणं, मशी श्री अहँ नमो आरियाणं, मला श्री अहँ नमो उवज्झायाणं, मना श्रीं अहँ नमो लोए सव्वसाहुणं, नमी श्री अहँ नमो जिणाणं, ममी श्रीं अहँ नमो ओहिजिणाणं, नशा श्री अहँ नमो परमोहि जिणाणं, मना श्री अहँ नमो सव्वोहि जिणाणं, नही श्री अहँ नमो अणंतोहि जिणाणं, मी श्री अहँ नमो केवलि जिणाणं, मनी श्री अहँ नमो भगवओ अरहओ उसभसामिस्स सिज्जउ मे भगवई महई महाविज्जा मी नमो अरहओ उसभसामिस्स आइतित्थगरस्स जस्सेअं जलं तं गच्छइ, चक्खं सव्वट्ठ (सव्वत्थ) अपराजियं आयाविणी ओहाविणी मोहणी थंभणी जंभणी हिलि हिलि कालि कालि धारणी चोराणं भंडाणं भोइयाणं अहीणं दाढीणं सिंगीणं नहीणं चोराणं चारियाणं वेरिणं जक्खाणं रक्खसाणं भूयाणं पिसायाणं मुहबंधणं गइबंधणं चक्खुबंधणं दिट्ठिबंधणं करेमि सव्वट्ठसिद्धे महा ठः ठः ठः स्वाहा ॥१॥
मना श्री अहँ नमो अरिहंताणं, नशा श्री अहँ नमो सिद्धाणं, मनी श्री अहँ नमो आरियाणं, मनी श्री अहँ नमो उवज्झायाणं, मना श्री अहँ नमो लोए सव्वसाहुणं, मना श्री अहँ नमो जिणाणं, मला श्रीं अहँ नमो ओहिजिणाणं, मनी श्री अहँ नमो परमोहि जिणाणं, मला श्रीं अहँ नमो सव्वोहि जिणाणं, नली श्रीं अहँ नमो अणंतोहि जिणाणं,
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