________________
32 • द्वात्रिंशिानी नयनता टीम बौद्ध ग्रंथ भने प्राथनी साहित्य सूथि • द्वात्रिंशिका १. अर्पणकसूत्र | १०. गौतमधर्मसूत्र १९. पाणिनि-अष्टाध्यायीसूत्र |२८. महाचत्वारिंशत्कसूत्र २. आपस्तम्बधर्मसूत्र | ११. गौतमीयधर्मसूत्र २०. पातञ्जलयोगसूत्र | २९. महावत्सगोत्रसूत्र ३. आपस्तम्बधर्मसूत्रवृत्ति |१२. चाणक्यसूत्र २१. पाशराशिसूत्र ३०. मीमांसासूत्र ४. कन्दरकसूत्र १३. जातकसूत्र
२२. बार्हस्पत्यसूत्र ३१. योगसूत्रभाष्य ५. कामसूत्र
| १४. तत्त्वार्थसूत्र २३. बोधायनगृह्यसूत्र ३२. लङ्कावतारसूत्र ६. काव्यानुशासनसूत्र | १५. नारदभक्तिसूत्र २४. बौधायनधर्मसूत्र ३३. वेरञसूत्र ७. काव्यालङ्कारसूत्रवृत्ति १६. न्यायसूत्र
२५. ब्रह्मसूत्र
३४. वैशेषिकसूत्र ८. कुक्कुरव्रतिकसूत्र | १७. न्यायसूत्रभाष्य २६. ब्रह्मसूत्रशाङ्करभाष्य | ३५. शालेयकसूत्र ९. गान्धीसूत्र |१८. न्यायसूत्रवार्तिक | २७. भदालिसुत्त |३६. साङ्ख्यसूत्र
१. ऐतरेयब्राह्मण
४. जैमिनीयब्राह्मण २. कौषीतकिब्राह्मणोपनिषद् | ५. ताण्ड्यब्राह्मण ३. गोपथब्राह्मण
६. तैत्तिरीयब्राह्मण
७. त्रिशिखिब्राह्मणोपनिषद् |१०. शतपथब्राह्मण ८. मण्डलतन्त्रब्राह्मणोपनिषद |११. शतपथब्राह्मणसायणभाष्य ९. मण्डलब्राह्मणोपनिषद्
'बौद्धग्रन्थाः प्रदर्श्यन्ते, नयलतोद्धतास्तु ये ।
अकारादिक्रमेणैव, स्वानुसन्धानहेतवे ।। १. अङ्गुत्तरनिकाय १२. चुल्लनिद्देसपालि २३. पाशराशिसूत्र | ३४. महावत्सगोत्रसूत्र २. अङ्गुत्तरनिकायटीका १३. जातक
| २४. पेतवत्थु ३५. माध्यमकवृत्ति ३. अभिधर्मकोश |१४. जातकमाला | २५. प्रमाणवार्तिक ३६. लङ्कावतारसूत्र ४. अभिधर्मकोशभाष्य १५. जातकसूत्र २६. प्रमाणसमुच्चय ३७. विनयपिटक ५. अर्पणकसूत्र १६. तत्त्वसङ्ग्रह २७. बुद्धचरित ३८. विमानवत्यु ६. इतिवृत्तक १७. तत्त्वसङ्ग्रहपञ्जिका २८. भद्दालिसुत्त ३९. विसुद्धिमग्ग ७. उदान
| १८. थेरीगाथा २९. मज्झिमनिकाय ४०. वेरञसूत्र ८. एककनिपातटीका १९. दीघनिकाय | ३०. मज्झिमनिकायवृत्ति
| ४१. शालेयकसूत्र ९. कन्दरकसूत्र २०. धम्मपद ३१. महाचत्वारिंशत्कसूत्र | ४२. संयुत्तनिकाय १०. कुक्कुरव्रतिकसूत्र २१. न्यायबिन्दु | ३२. महानिद्देसपालि | ४३. सम्यग्दृष्टिसूत्र ११. खुद्दकपाठ | २२. पटिसम्भिदामग्ग | ३३. महावग्ग | ४४. सुत्तनिपात
४५. सौदरनन्दकाव्य
૧. ‘દ્વત્રિશિકા પ્રકરણની નયલતામાં સાક્ષીરૂપે ઉદ્ધત કરેલા બૌદ્ધગ્રંથ સાહિત્યની પ્રસ્તુત નોંધમાં દર્શાવેલ છે. તેના પૃષ્ઠ નંબરની માહિતી
भाटे मास-८, परिशिष्ट-मां शुमा ५.२२१५ थी २२४८... Jain Education International For Private Personal Use Only
www.jainelibrary.org