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________________ सम्यग्दर्शनलाभप्रक्रिया (ग्रन्थिभेदप्रक्रिया) १०१७ १०१८, सविचार समाधि १२०६, १३८९-१३९१, १५२६ सम्यग्दर्शनहेतु १३८८ सम्यग्दृष्टि सम्यग्दृष्टि (प्रथमगुणस्थानवर्ती०) सम्यग्दृष्टि चारित्र सम्यग्दृष्टिप्रवृत्ति सम्यग्दृष्टिलिङ्ग (१) शुश्रूषा દ્વાત્રિંશિકાપ્રકરણ તથા ‘નયલતા’ વ્યાખ્યામાં વર્ણવેલા પદાર્થોની યાદી • सरागसंयम सरागचारित्र सर्वज्ञप्रतिपत्ति सर्वज्ञसिद्धि सर्वज्ञोक्तिबीज सर्वभद्रा पूजा सर्वभूतसमा सर्वमङ्गला पूजा सर्वविरतिपर्याय जुओ सम्यग्दर्शन १४९४ + जुओ गुण ( अद्वेषादि) -शुश्रूषा १००५- १००६, १०१०- १०११ (२) धर्मराग (३) गुरुदेवादिपूजा ९१२, १०१३ सम्यग्दृष्टिलिङ्ग (प्रशमादि ) ४४०, १००७ सम्यग्दृष्टिलिङ्ग (सर्वत्रोचितप्रवृत्त्यादि) १००७ सम्यग्दृष्टिलिङ्ग (मैत्र्यादि भावना) सम्यग्मिथ्यादृष्टिगुणस्थान जुओ गुणस्थानक सम्यग्वाद कथा जुओ कथा-धर्मकथा - विक्षेपणी कथा सयोगिकेवलिगुणस्थान जुओ गुणस्थानक १००७ १४०६ जुओ चारित्र ९७३ १०११, १५३६ ३९४ १५७५-८६ १०९८-९९ १४३७ १६१० ३५६ १९३१-३५ जुओ पूजा जुओ पर्याय ९७०, १००५- १०१०, १४००, सहजमल साङ्कर्य सर्वसंवर सर्वसम्पत्र दान सर्वसम्पत्करी भिक्षा जुओ भिक्षा सर्वसिद्धि पूजा सर्वसिद्धिफला पूजा सर्वोपचारा पूजा सविकल्प समाधि Jain Education International १९४० जुओ दान (अनुकम्पादि ) ३५६ जुओ पूजा जुओ पूजा जुओ समाधियोग ( सम्प्रज्ञातादि) जुओ समाधियोग ( सम्प्रज्ञातादि) प्रज्ञा जुओ समापत्ति जुओ समाधि (सम्प्रज्ञातादि) सम्प्रज्ञातसमाधि जुओ समापत्ति जुओ योग्यता जुओ कुविकल्प ८७७,८७९,८८२,१४५९, १५३८, १५४१ २३९-२४०, ५९१-५९३, ८२०, १०५५, १०९२, १७६१-१७६२, १७७२ (१) जातिसाङ्कर्य २३९-२४०, ५९१-५९३, ८२०, १०५५, १०९२, १७६१-१७६२, १७७२ | सविचार समापत्ति सवितर्क समाधि सवितर्कसमापत्ति सहकारियोग्यता सहज कुविकल्प (२) उपाधिसाङ्कर्य (३) उपधेयसाङ्कर्य (४) वृत्तिसाङ्कर्य (५) शब्दप्रतीत्यादिसाङ्कर्य १३३८, १३६४ (६) अवस्थासाङ्कर्य २१३१ ७७०-७७४ (७) स्मृतिसाङ्कर्य (८) शब्दार्थज्ञानसाकर्य १७८६ साङ्ख्यमान्यतत्त्व जुओ तत्त्व सांख्यमान्य मुक्ति सांवृतिक सत्य सांसिद्धिक सिद्धि साकारश्रद्धा साक्षात्कार 145 For Private & Personal Use Only २४० ६५४, १०५७, १३१६ १४५२ जुओ मुक्ति जुओ सत्य जुओ सिद्धि (पातञ्जलमान्य) जुओ श्रद्धा (साकारादि) ७५७-७५८, ७८६, ७८८, ८१३, ८२७, १०७५, १११२, १११६, ११७६, १३२६-१३२९, १३३१, १३३३-१३३५, १३३९-१३४०, १३४३-१३४४, १३६९१३७०, १५२१-१५२२, १७५४-१७५६, १४८३, १७९२-१७९५, १८२७-१८२८, २१२२-२१२५ साक्षी १२७, ४३८, ६१५, ६८६, ७२९-७३०, ७३७, ७९८,८२४, १६२४, १६९२, २१०१, २१५६ www.jainelibrary.org
SR No.004938
Book TitleDwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 1
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
AuthorYashovijay of Jayaghoshsuri
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year2002
Total Pages478
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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