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________________ 125 • त्रिशि५४२९ तथा 'नयत' व्यायाम विदा पहार्थोनी याही . भूमिपरीक्षा जुओ परीक्षा | भ्रान्ति जुओ चित्तदोष भूमिशुद्धि जुओ शुद्धि + जुओ योगान्तराय भृतक ३०७, ३०८-३०९, ८९४, १५८९ मन्त्रयोग जुओ योग (अवशिष्ट) भेत्ता १८७०-७१ मणिकुल्या कथा जुओ कथा (ग्रन्थान्तरगत) -संकीर्णकथा भेदक १८७०-७१, १८९६ मण्डलतन्त्रवादिमत ४५३ भेदनय जुओ नय (ज्ञाननयादि) मण्डूकचूर्ण ७२१, ७२२, ९८६ भेदनयार्पणा जुओ अर्पणा मण्डूकभस्म ७२२, १३७६ भेद्य १८७०-७१, १८९६ मतिज्ञान जुओ ज्ञान (मत्यादि) भेषज ७९, ८० मत्सर जुओ भवाभिनन्दिलक्षण भोक्तृत्व ७३५ मत्स्यण्डी ४६५ भोक्तृत्वशक्ति जुओ शक्ति मद्यपान (मधुपान) ४५५-४५६, ४६१-४६२, ४६७भोग ५८९,७८०,१०९१,१७३७, १८०१ ४६९, ४८०, ४८४, ४८६, ४८८-४९४, (१) भोग (पातञ्जलसम्मत) ५८६,७५७, ७६२, ७६५, ५०३, ५०६, ५१३, ५२१, ९९८-९९९ ७६९, ७७५, ७७७, ७७९-७८१, ७८४-७८६, मद्यपानदोष (१६) ४९२ ७८८, ७९२-७९३, ७९६, ८०२-८०३, ८०५, मधुपान जुओ मद्यपान ८१०, ८१३-८१५, ८१७-८१८, ८२०, ८३९- मधुप्रतीका सिद्धि जुओ सिद्धि (पातञ्जल) ८४०, १०९१, १७३७, १८०१ | मधुमती भूमिका १११६, १७९५, १८२३-२४, (i) चिदवसान भोग ७८० १८२८ (ii) परिणामलक्षण भोग ७८० मध्यम श्रोता जुओ श्रोता (iii) भोगत्रैविध्य १०९१ मध्यस्थ जुओ माध्यस्थ्य (२) भोग (भवाभिनन्दिकृत) १५४२-१५४६, मनःशुद्धि जुओ शुद्धि (३) भोग (सम्यग्दृष्टिकृत) १६२२, १६२४, १६२६, मनास्थैर्य १२३७, १४९८, १५०९, १७९७ १६२९-१६३०, १६३२-१६४१, १६४४- | मनोगुप्ति जुओ गुप्ति १६६०, १६६२, १६६४, १६६७ मन्त्रसिद्धि १०८९ भोग (भवाभिनन्दिकृत) जुओ भोग + जुओ सिद्धि (पातञ्जलमान्य) भोग (सम्यग्दृष्टिकृत) जुओ भोग मन्थल्लिका जुओ कथा (ग्रन्थान्तरगत) -संकीर्णकथा भौतघातकोदाहरण १६६, ९०० मन्दकषायलिङ्ग जुओ कषायलिङ्ग भोगशक्ति जुओ शक्ति मयूरोदाहरण जुओ शिखिदृष्टान्त भोगसंस्कार जुओ संस्कार मरण ५८०-५८३, ६२२-६२३, ६५३भोगायतन जुओ आयतन ६५४, ९५७, १६५४-१६५५, १७१८-१७१९, भोग्यशक्ति जुओ शक्ति १७९१-१७९२,१८२९-१८३०,१८६७-१८६९, भोक्तृशक्ति जुओ शक्ति १८८४-१८८५, १९३२-१९३४, १९४९ ७४५-७४९, ७५३, १२४२ मरणज्ञान १७९२ भ्रमपञ्चक ७४७-७४८ | मरुमरीचिका १६७, १६२७, १६४७, १६५२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004938
Book TitleDwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 1
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
AuthorYashovijay of Jayaghoshsuri
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year2002
Total Pages478
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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