________________
धर्म समाध
धर्मवनकाल
धर्मराग
धर्मलक्षण
धर्मलक्षण- सप्तविध
धर्मवाद
धर्मस्वरूप ( सप्तविध)
धर्मवादविषय
धर्मव्यवस्था
धर्माधिकार
धर्मशक्ति
धर्मसंन्यास
धर्मसिद्धि
धर्माधिगमहेतु
धर्मोत्तरक्षमा
धर्मोपदेशक गुरु
धानुष्कोदाहरण
धारकत्व
धारणा
६३३, ८६१, ९५१, १६७९, १७८४
धारणाव्यवहार
धिगाचार
ध्यान
धूप
धृति (धैर्य)
દ્વાત્રિંશિકાપ્રકરણ તથા ‘નયલતા’ વ્યાખ્યામાં વર્ણવેલા પદાર્થોની યાદી •
जुओ समाधि (सम्प्रज्ञातादि)
८८३, ९१४
१२४५, १३१९, १४९०
+ जुओ सम्यग्दृष्टिलिङ्ग
४४, २०१-२०२, ५५४, ५५६,
·
१६३३
जुओ बाद
१८६६
५५४, ५५५, ५६१, ६२९
४४७-५२५
Jain Education International
९३२
जुओ शक्ति
जुओ योग ( इच्छादि)
५३८, ६९२-६९३, १३२० ८६६
जुओ क्षमा
८३६
(१) आर्त्तध्यान ४२६-४२७, ४३२, ४६१, ५१०
५११, १४५०
(२) रौद्रध्यान
४६१
(३) धर्मध्यान ४०१, १२३४, १२३७, १२६०, १२९९, १४८१, १५४५, १६८९, १८१८, १९२८, १९६८
(४) शुक्लध्यान ४०१, १३४२, १३५१, १३५३, १३७६, १३९३, १५९२, १६८९, १६९४, १८१८, १८३४-१८३५, १८३९, १८८७ - १८८८, १९३५, २०१२, २०४५
१६६४, १६८६
(५) सगुणध्यान (६) निर्गुणध्यान
१६६४, १६८६
(७) ध्यान ( सप्तविध जैनसम्मत ) (८) ध्यानचतुष्टय ( बौद्धसम्मत ) १३५४, १४९७, १६८८ ध्यान ( सप्तविध जैनसम्मत) जुओ ध्यान ध्यानचतुष्टय (बौद्धसम्मत ) जुओ ध्यान ध्यानयोग जुओ योग (अध्यात्मादि)
जुओ योगाङ्ग
ध्यानयोगाङ्ग
१३२७
१२५, २४९-२५३, २५५, १०६५ ध्यानाधिकारी
जुओ योगाङ्ग
जुओ व्यवहार
९०
ध्रुवाध्वा
ध्वंस
३५१
१७८, २४७-२४९, २५१-२५३, ४३०, ५५६-५५७, ८५४, ८६०-८६१, ९९८, १३८३, १३९३, १४४८, १४९४, १५१२- नमस्कार १५१३, १५३८, १६३९, १६४३, १६६०, नम्रता १६६२, १६७०, १८८७ - १८८८
ध्वंसलक्षण
ध्वनिमय देशना (दिगंबर)
नटवैराग्य
नन्दी (बौद्धमान्य)
१८३३,
११७, ११९-१२१, ८२७, नय (ज्ञाननयादि) १२३७, १२४९, १२९४, १३५५, १३९४, (१) ज्ञाननय
१५१३-१५१५, १५७९, १६२२, १६२९,
१६६२-१६६९, १६९६, १९४२-१९४६, (२) क्रियानय १९४८-१९५०, २०४३-२४५, २०६३,
For Private & Personal Use Only
111
१९४५ ८६१, १३५३
१२३७-३८, १२४८
१६७२
११९३
११९२-१९९३
२०३२
जुओ वैराग्य
६९०
३५१
८५५, ८५६, ८६०, १६६५, १८७३, २१८३-२१८४
३८४, ७२२-७२५, १५९९,
१६८५, १९०७
३८४, ७२२, ७२४ -७२५, ८९५, १९०७
www.jainelibrary.org