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________________ 109 • शि14.४२९ तथा 'नयतता' व्यायामा विदा पर्थोनी याही . १०६२, १३४८-१३५०, १६०२, १६२१- | देशग्राही जुओ नय (नैगमादि) -सङ्ग्रहनय १६२२, १८७५-१८७६, २०३३-२०३४, | देशना (धर्मदेशना) ७९, ८०, ८३-८५, १०२, ११५२०९४-२०९६, २१२६-२१२८ ११८, १२२, १२४, १२७, १३२-१३३, दिव्यदर्शन १७९८ २६७-२६८, ५५३-५५४, ६४२, ६७७-६७८, दीक्षाधिकारी जुओ प्रव्रज्याह ८४६-८४७, १११०, १६०४-१६०६, १६०८दीक्षा (प्रकार) १६०९, २०१८, २०२९-२०३८ (१) द्रव्यदीक्षा १९०४, १९२० (१) स्वस्थानदेशना ८०-८१ (२) भावदीक्षा १९०४,१९२१-२५, १९३०-३५ | (२) परस्थानदेशना ८१, ८२, १२६ (३) समयदीक्षा १४२६, १४९१-१४९२ (३) पापदेशना ८२ दीक्षा १९०१-१९६० (४) शुद्धदेशना १७३, १७४, १८०, १२१४ दीक्षानिरुक्ति १९०१ (५) देशना (७ प्रकार) १८६६, १८६७ दीक्षार्थिपृच्छा (४८) १९०५ (६) नयदेशना १२३,१२४-१२६, ७३६, १५७३, दीन ६८९ १६०२, १६०७, २१११-२११२, २११६ दीनता जुओ भवाभिनन्दिलक्षण (i) शुद्धनयदेशना ७३४ दीपा दृष्टि जुओ योगदृष्टि (७) प्रमाणदेशना १२४-१२६ दीर्घसूक्ष्मसंज्ञ प्राणायाम जुओ प्राणायाम (८) द्रव्यदेशना १५९८-२११६ दुःखगर्भवैराग्य जुओ वैराग्य (९) पर्यायदेशना १५९९-१६००, १६०२, २१११ दुःखलक्षण १६६४-६७ (१०) ज्ञानाद्वैतदेशना १५९९ दुःप्रतिकार २७२ (११) शून्यवाददेशना १५९९, १७२४-२५ दुःसंज्ञाप्य ५४२ (१२) नैरात्म्यदेशना १७२४-१७२५ दुर्जन २९३, ५४६, १३९०, १४६७, (१३) ब्रह्माद्वैतदेशना १५९८-१६०२ १८६३, २१६८-२१७४, २१७६-२१७७ (१४) सर्वज्ञदेशना १५९८-१६०० + जुओ खल (१५) तीर्थकृद्देशना २०३९-२०३५ दुर्जेयश्रुति १०६४ (१६) पार्श्वस्थदेशना १२९ दुर्नय जुओ नय (ज्ञाननयादि) (१७) गम्भीरदेशना १२७ दुर्लभबोधित्वकारण १९८० देशना (७ प्रकार) जुओ देशना दृक्शक्ति जुओ शक्ति | देशपरीक्षा जुओ परीक्षा दृश्यमार्जन १६०१ देशविरतिगुणस्थान जुओ गुणस्थानक दृश्यानुपिद्धसमाधि जुओ समाधि (दृश्यानुविद्धादि) देशविरतकर्तव्य ९६२ दृष्टान्त ४४८, ९९३ देशविरतिपरिणाम . ३६४ दृष्टिवादआक्षेपणी कथाजुओ कथा-धर्मकथा-आक्षेपणी कथा | देशशुद्धि जुओ शुद्धि दृष्टिसम्पन्नत्व ९४५-९४६ देहवासना जुओ वासना देवतासन्निधान (देवतासन्निधि) ३३२, ३३३, ३३५ ७६७-७६९, ८२६-८२७, ११५१-११५२, देवांशी नर ८३५ ११५४-११७४, ११७६-११७७, ११७९ दैव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004938
Book TitleDwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 1
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
AuthorYashovijay of Jayaghoshsuri
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year2002
Total Pages478
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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