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जैनागम नवनीत पर प्रशस्ति आसु कवि पंजाबी चंदनमुनि
खंड एक से लेकर के, आठों ही हमने पाया है, जैनागम नवनीत देखकर, मन न मोद समाया है I
पंडित रत्न तिलोक मुनिवर, इसके लेखक भारे है, जैन जगत के तेज सितारे, जिनको कहते सारे है ।
उनकी कलम कला की जितनी, करो प्रशंसा थोडी है, इनको श्रेष्ठ बनाने में कुछ कसर न इनने छोडी है ।
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जिन्हें देखकर जिन्हें श्रवण कर, कमल हृदय के खिलते है, जैनागम विद्वान गहनतर, उनसे कम ही मिलते है ।
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हमें हर्ष है स्थानकवासी जैन जगत मैं इनको देख, कहने में संकोच नहीं कुछ, अपनी उपमा है वे ओक ।
गीदडवाहा मंडी में जो, पंजाबी मुनि चंदन है, उनका, इनके इन ग्रंथो का, शत शत शत अभिनंदन है ।
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