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________________ ૩૧ रतनिगु ए पूनिगु बेवि दाणु दियंतउ नवि खिसए । माणिक ए मोतीय दानि कणय कापडु लेखइ किसए ॥ २५ ॥ रतनिगु ए पुंनिगु बेवि बंधव प्रीतिहि संमिलिय । झालहि ए संघह भारु नितु नितु पूरहि मनि रलिय ।। २६ ।। घात तहि जि उच्छवि तहि जि उच्छवि रणइ घणतूर । - वर मंगल धवलु झुणि कमलनयणि नचंति रसभरि । तहि साहिगु धुरि धवलु दियइ दाणु गुणराज बहुपरि । मागणजण कलिवु करइ चमकिय चित्ति सुरिंदु | पाठवणि सुहगुरतण संधि सयलि आणंदु ॥ २७ ॥ संधि सयलि आणंदु दंसणनाण चरितधरो । सिरिजिण उदयमुनिंदु जउ दीठउ नयणिहि सुगुरो ॥ २८ ॥ घरिघरि मंगल चारु भवियकमल पडिबोह करो संजमसिरि उारे हारु उदयसुहगुरु सहसकरो ॥ २९ ॥ माल्यसाथ सिंगारु रूदपाल कुलमंडणउ | धारलदेवि मल्हारु सुहगुरु भवदुहषंडणउ ॥ ३० ॥ जिम जिणबिंब विहारि नंदणविणि जिम कप्पतरो । सुरगिरि गिरिहि मज्झारि जिम चिंतामणि मणिपवरो ॥ ३१ ॥ जिम घणि वसुभंडारु फलह माहि जिम धम्मफलो । राज माहि गजसारु कुसुम माहि जिम वर कमलो || ३२ ॥ जिम माणससरि हंस भाद्रवघणु दाणेसरहु । जिम ग्रहमंडलि हंसु चांदु जेम तारागणहु ॥ ३३ ॥ जिम अमराउरि इंदु भूमंडलि जिम चक्कधरो । संघह माहि मुणिदु तिम सोहइ जिणउदय गुरो ॥ ३४ ॥ नवरसदेसण वाणि घण जिम गाजइ गुहिरसरे । नाणु नीरु वरसंतु महिमंडलि विहरइ सुपरे || ३५ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004917
Book TitleJain Aetihasik Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1926
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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