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________________ ૨૨૫ परणि संयमासरि वर नारी माइ माए मझ्झु मणह पियारी | जासु पसाइण वंछिउ सिज्झए वलवि न ससारंमि पडिज्जए ॥ १० ॥ इहु निसु विणु अंबडवयणु पभणइ माया संभाल लाडण | तुहु नवि जाणइ बालउ भोलउ इहु ऋतु होसए षरउ दुहेलउ ॥ ११ ॥ मेरु धरेवर नियमुयदंडिहि जलहि तरेवड आपुण बाहुहि । हिंडेवउ असिधारहं उबरे लोहचिणा चावेवा इणि परि ॥ १२ ॥ ता तुहुं रहि घरि कहियइ लागि जं तुहु भावई वांछत मागि । किंपि न भावए विणु संजमसिरि माय भणइ जं रूयडडं तं करि ॥ १३ ॥ भइ अंबड, भणइ अंबड एहु संसारु । गुरुदुक्ख भरपूरियउ माइ माइ ता वेगि मिलिहुसु । परविणु दिक्खसिरिविविहभगिहउं सुक्खमाणिसु । माय भणइ दुक्करु चरणु तुहुं पुणु अइ सुकमालु | कुमरु भइ दुक्करह विणु नहु छलियइ वलिकाल ॥ १४ ॥ अंबड पभणइ माय सुणि परणिसु संजमलच्छि । इकु जुए पुह विहि सलहियए जायर लषमिणिकुच्छि ॥ १५ ॥ अभिनव ए चालिय जानउत्र अंबडतणइ वीवाहि । आपुणु ए धम्मंह चक्कवह हूयउ जानह माहि ॥ १६ ॥ आवहि आवहि रंगभरि पंचमहव्वयराय । गायहि गायहि महुरसरि अट्टय पवयणमाय ॥ १७ ॥ अढार सहसह रहवरह जोत्रिय तहि सीलिंग | चालहिं चालहिं षंतिमुह वेगिहिं चंगतुरंग ॥ १८ ॥ कारइ कारइ नमिचंद्र भंडारिउ उच्छाहु । वाधइ वाघइ जान देषि लषमिणि हरषु अबाहु ॥ १९ ॥ कुसलिहि षेमिहि जानउत्र पहुतिय पेडमज्झारि । उछवु हूयउ अइपवरो नाचहि फरफर नारि ॥ २० ॥ २८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004917
Book TitleJain Aetihasik Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1926
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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