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(ग) आवश्यक चूर्णि. पृ. १५६
(घ) आवश्यक हारिभद्रीया प. १३२ ७०. त्रिषष्टि. १।२।९७१ ७१. आवश्यक नियुक्ति. गा. ३३७ ७२. (क) आवश्यक नियुक्ति. गा. ३३९
(ख) आवश्यक चूर्णि. पृ. १६२ (ग) त्रिषष्टि. १।२।१२२-१२३
(घ) महापुराण, जिनसेन १८-५५-५९ पृ. ४०२ ७३. (क) आवश्यक मलय. वृ. प. २१७
(ख) त्रिषष्टि. १।३।२४४।२४५ ७४. (क) आवश्यक मलय. २१७-२१८
(ख) आवश्यक चूर्णि. १६३ ७५.. (क) आवश्यक नियुक्त्ति. गा. ३४२-४५
(ख) समवायाङग ७६. (क) दशवकालिक, अगस्त्यसिंह चूणि.
(ख) " जिनदास चणि. पृ. १३२ (ग) आवश्यक चूणि. पृ. १५२ (घ) महापुराण २६६।६।३७० (ड) धनन्जयनाममाला. ११४ पृ. ५७ (क) त्रिषष्टि. १।३।३०१-३०२ (ख) कल्पलता, समयसुन्दर पृ. २०६
(ग) कल्पद्रुम कलिका पृ. १४९ ७८. (क) आवश्यक नियुक्ति. गा. ३४२
(ख) आवश्यक चूर्णि. पृ. १८१ (ग) त्रिषष्टि. १।३।५११-५१३
(घ) चउप्पन्न महापुरिसचरियं (आचार्य शीलांक) ७९. आवश्यक नियुक्ति. गा. ३४३ ८०. महापुराण (आदि पुराण पर्व २४) के अनुसार इसी समय सम्राट भरत को अन्तःपुर में पुत्र-रत्न प्राप्त
होने की सूचना भी प्राप्त हुई । ८१. (क) आवश्यक मलयगिरि वृत्ति २२९ (ख) आवश्यक चूर्णि. पृ. १८१
(ग) त्रिषष्टि. ११३१५२८-५३० ८२. (क) आवश्यक नियुक्ति
(ख) त्रिषष्टि. ११३१५३१ ८३. (क) आवश्यक नियुक्ति. गा. ३४५-३४६ (ख) आवश्यक चूणि पृ. १८२
(ग) आवश्यक मलय. वृत्ति. प. २२९
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