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२४५. (क) आवश्यक नियुक्ति गा. ४७२
(ख) त्रिषष्टि. १०।३।३४८-३५१ २४६. (क) महावीर चरियं प्रस्ताव ५ प. १८१-१८२
(ख) आवश्यक मलय. प. २७५
(ग) त्रिषष्टि. १०।३।३५९-३६९ २४७. 'मंख' शब्द का अर्थ है-चित्र दिखाकर आजीविका करने वाला । मलधारी हेमचन्द्र सूरि ने इसका
अर्थ किया है 'केदारपट्टिकः (हारिभद्रीयावश्यक टिप्पण पत्र २४-१) अर्थात् शिव का चित्र लोगों को दिखाकर भिक्षा प्राप्त करने वाला । संभवतः इसी आधार पर परंपरागत अनुश्रुति उसे 'डाकोत' कहती होगी!
किसी एक ब्राह्मण की गोशाला में उसका जन्म होने से वह 'गौशालक' कहलाया । बचपन में ही बहुत उद्धत होने से माँ बाप को छोड़कर वह स्वतन्त्र घूमता था (देखे भगवती १५।१) -सम्पादक २४८. (क) आवश्यक मल. वृत्ति प. २७६
(ख) आवश्यक नियुक्ति गा. ४७३
(ग) त्रिषष्टि. १०॥३॥३९६ २४९. (क) आवश्यक मलय. वृ. प. २७६
(ख) आवश्यक नियुक्ति गा. ४७४ २५०. (क) आवश्यक मलयगिरि वृत्ति २७६
(ख) त्रिषष्टि. १०।३।४१६-४१७ । २५१. आवश्यक चूणि, प्रथम भाग पत्र २८४ २५२. आवश्यक नियुक्ति गा. ४७६ २५३. (क) आवश्यक मलय. वृत्ति पत्र १७८
(ख) महावीर चरियं प. १८९ २५४. (क) आवश्यक मलय. वृ. २७८
(ख) महावीर चरियं. प्र. ६। प. १९१
(ग) आवश्यक चूणि, पूर्वार्द्ध-पत्र. २८५ २५५. ताहे सामी चोरगसन्निवेसं गता।
-आवश्यक मलय. २७८ २५६. (क) आवश्यक नियुक्ति गा. ४७७
(ख) आवश्यक मलय. प. २७८, २७९
(ग) त्रिषष्टि. १०।३।४८२-४८६ २५७. कयंगल देउलवरिसे, दरिद्दथेराण गोसालो
-आवश्यक नियुक्ति गा. ४७८ २५८. आवश्यक मलय. प. २७९
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