________________
अक्षतोदक प्रदानेन, अनंतो भगवान् प्रसीदतु | अक्षताः पान्तु, शिव माङ्गल्यन्तु श्रीमदस्तु वः ||६|| (यहाँ चावल चढाना) नैवेद्य प्रदानेन, नेमीनाथो भगवान् प्रसीदतु |
पीयूष पिण्डः पान्तु, शिव माङ्गल्यन्तु श्रीमदृस्तु वः ।।७।। (यहाँ नैवेद्य (मिठाई) चढाना) * फल प्रदानेन पार्श्वनाथो भगवान् प्रसीदतु | | नारिंग प्रभृति फलानि पान्तु, शिव माङ्गल्यन्तु श्रीमदस्तु वः ।।८।। (यहाँ फल चढाना) ___ अष्ट प्रकारी पूजा, आरती एवं मंगल दिवा, शांति कलश करें / 24-2 भारी पूरी - मारती मंगहीवो શાંતિ કળશ કરવો.
)卐卐*
गाँव को घुमती धारावडी करें/मन वरती धारावाडी रवी...
शुभं भवतु...
C
(२७) For Private & Personal Use Only
Jain Education Intemational
www.jainelibrary.org