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उपसंहार धर्मगुरुओनो अभाव, ग्रामजनो तरफ नागरिकोनी उपेक्षा तथा सर्वधर्मसमभावनी भावनानी खामी अने जन्मजातिवादनी धर्मरूपता वगैरे अनेक कारणो आपणी भाषानी तथा आपणां नगर अने ग्रामनी एकतानां खंडक छे. अने आपणा भागलाना निमित्तरूप छे. आज सुधी पण ते परिस्थिति मटी नथी. तेम थवानां सर्व कारणो हवे तो तद्दन खुल्लां पडी गयां छे, वळी, अत्यारनो गमे ते प्रांतनो साक्षर, अध्यापक वा विद्यार्थी पोतानी बोलचालनी भाषामां पण कां तो संस्कृत शब्दो वधारे आणे छे अथवा अंग्रेजी शब्दो अधिक लावे छे, परंतु मातृभाषा अने एना तळपदा शब्दो तरफ लक्ष्य नथी करतो, आने ज परिणामे भाषामां भ्रष्टता वधे छे अने तेओनुं बोलेलुं वा लखेलुं साहित्य, गामडामां रही खेती करनारा, कोश हांकनारा के बीजा ग्रामवासी सुधी पहोंचतुं नथी. ते साक्षरो, अध्यापको अने विद्यार्थिओ तथा पेलो ग्रामवासी एक प्रांतना, एक ग्रामना होवा छतां एक बीजाने परदेशी जेवा लागे छे. आम थवाथी ग्राम अने नगर, साक्षर तथा निरक्षर ए बधा बच्चे भेदनी भीत, तिरस्कारनी रीत वगेरे अंतरायो ऊभा थया छे अने तेनुं परिणाम पण आपणे आकरामां आकरुं भोगवी रह्या छीए. २२९ अत्यारना गमे ते प्रांतना नागरिक अध्यापक वर्ग अने नागरिक
छात्रवर्गने जोईशुं अने तेमनी साथे एक बे घडी मातृभाषानो
, वार्तालापनो प्रसंग योजीशुं तो तेमनी पासे कोई . विशिष्ट अभ्यास
- एक मातृभाषा जेवं विचार दर्शाववानुं वाहन छे के केम ? एवो प्रश्न थया विना नहीं रहे. ___ आ परिस्थिति मूळथी ज उच्छेदनीय छे. आपणा अध्यापको अने छात्रो पोतपोतानी मातृभाषाना अध्ययन तरफ अने तेना तळपदापणा तरफ गंभीरताथी जोशे, तळपदी भाषानुं सारं अध्ययन करशे अने मातृभाषाने
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