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करु
देशु देखी
गाथा
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५४४
गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति १८५ भीम (बीजो)नाम नाम
कि० क्रि० भाषा ललाटि
जाणूं सम्यक युगदीश्वरी
ऊपजइ कहोस उमया
दीसह ऊपरि अंतरि
निवर्त नियमना
उपाशी एक तन्न
जाणइ मारि अज्ञानि मुखि करी
पामीइं बिसारी किरणविषि यहां
प्रणमीजई यथा
क! मध्यदिवस सिहियई जय
अवतरिआ योगीजन्न
ऊतारि कुसुमतणी सनेह
आव्या अगाधि
बोलिसु सनातन
बोलियां
दीपइ यति रसनइ
मार वैराग येह (जे) विस्तरह बइठा तेह ( तेनो)
त्यजइ --करुणाकरत' येहुनी
कविजन प्रापति लोचननइ किशा कारणि
उल्हसइ पामइ
रहां
दीचूं
अ५ ७ ३ ४. * * * 1 3 1 4 हु अ ४ अ . .
येहनूं
वाध
मुगति
tabousiekvienos
सोहइ
कीधु
विना
धरि
पामीइ
रचियूं
आगइ
जाइ
करी
थाइ
मोहि
करइ
मिशइ
तहमो
जोइ
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