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________________ २८४ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति ७ " देस खण्णा होंति " - ५९ - देशो रम्य थाय छे. ऊपर जे वाक्यो आप्यां छे तेमां मूळ वाक्योमां तो बधे 'भू' धातुनो ज प्रयोग छे. छतां अनुवादमां क्यांय ' थाय छे' ए रीते 'स्था ' धातुना क्रियापदथी अर्थ बताव्यो छे अने क्यांय 'भू' धातुना ' होय छे' क्रियापदथी अनुवाद आप्यो छे. आ एक प्रकारनी भाषाशैली छे. हेमाचार्यनां जमानामां वा तेमनाथी पूर्वना जमानामां पण जे अर्थ आपणे हमणां 'स्था' ना 'था' धातुथी अने 'अस्' ना 'छे' द्वारा बताविए छिए ते अर्थ पण 'भू' धातु द्वारा सूचवातो परंतु पछीना समयमां एक ‘भू' धातुना अर्थ माटे 'अस्' ' अनें' 'भू' एम त्रण जुदा जुदा धातुओ वपरावा लाग्या एटले 'स्था ' विद्यमानता सूचत्रवा 'स्था', अने 'होवुं' अर्थ ' छे ' – ‘अस्’, माटे ' हो ' ' भू' 'थवुं ' अर्थ माटे ' था ' एवो विभाग थई गयो. 6 आ तो एक भाषाशैलीना परिवर्तननुं उदाहरण छे. एवं ज बीजुं उदाहरण 'भण ' धातुने लगतुं छे. हेमाचार्यना ' भण्' नो उपयोग समयमां वा तेमनाथी य पूर्वना समयमां ' कहेवा 'ना अर्थमां ' भण' धातुनो प्रयोग अनेकानेक स्थळे थयेलो छे अर्थात् 'ते कहे छे' एवा अर्थमां ' भणति' एवं क्रियापद वपरायेलुं छे त्यारे आपणी चालु भाषामा ' भण' धातुनो प्रयोग मात्र ' भणतर भगवाना' अर्थमा आवी संकोच पाम्यो छे. आपणे त्यां ' भणे छे' एटले ' विद्याभ्यास करे छे' एवो ज अर्थ रह्यो छे. 6 भण' धातुनो मूळ अर्थ ' शब्द करवो अवाज करवो' छे. छंदोनुशासनना उक्त ३२ मा पद्यमां ' भणि' क्रिया ' कहे' ना अर्थने बतावे छे. आपणी भाषामा 'भण' नो अर्थ संकोच पाम्यो छे त्यारे मराठी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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