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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति ८५ हवे उक्त बन्ने सैकानी ते ते कृतिओनी भाषामीमांसा ज करूं.
___ बारमा सैकामां रचायेली उक्त त्रणे कृतिओनी बारमा अने तेरमा मापाने में ऊगती गजरातीनुं नाम आपलु छ. सैकानी भाषा
जगतो आंबो अने फूलेल, फळेल एवो मोटो
घटादार आंबो ए बे बच्चे अंतर तो छे, परंतु उद्गम्यमान अने उद्गत ए बन्ने स्थितिओनुं अहीं सामानाधिकरण्य होवाथी कहेवा पूरती ज ते बे जुदी स्थितिओ बच्चे उष्ट्र अने अश्व जेवो भेद मानी न शकाय. 'जे उद्गम्यमान छे ते ज उद्गतदशाने पामे छे' ए न्याये बारमा सैकानी जे ऊगती गुजराती छे, ते ज वर्तमानमां घटादार आंबा जेवी उद्गत स्थितिए पहोंचेली छे. भाषामीमांसाना प्रस्तुत प्रसंगे मारे प्रधानपणे बतावq पण ए ज छे.
हेमचंद्रे बतावेला जगती गुजरातीना नियमो अने प्रत्ययो वगैरेने आगळ संक्षेपमां बतावी गयो छु, ते नियमो अने प्रत्ययो वगेरेनी दृष्टिए उक्त कृतिओना प्रयोगोमां जे विशेष भेदभाव ज्यारथी जणावो शरू थयो छे तेने यथास्थाने देखाडतो रहीश, पण ज्यां कशो भेदभाव नथी एवां स्थळोने बताववानी अपेक्षा नथी. एवां स्थळो तो सहज सुज्ञान छे.. भाषानुं फरतुं वलण बताववा माटे ते ते कृतिओमाथी केटलांक वाक्यो
. अने केटलाक शब्दोने टांकी बतावीश अने आवश्यते कृतिओनां वाक्यो अनेकतानी दृष्टिए वच्चे बच्चे प्रत्ययो अने शब्दोना इति
हासनी पण चर्चा करीश. ८६ शरूआतमां आ नीचे बारमा सैकानी अने तेरमा सैकानी गुजरातीनां केटलांक वाक्यो अने शब्दो क्रमवार नोंधी बतावं छु, जेमने बांचतां ज भाषाना वलणनो ख्याल आवी जशे.
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