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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
वर्तमानकाळ एक०
बहु० ८-४-३८५ १. पु० उं, मि. हुं, म, मु, मो [८-४-३८६ ८-४-३८३ २. पु० हि, सि, से. हु, ह, ध, इत्था [८-४-३८४
३. पु० दि, दे, इ, ए. हिं, न्ति, न्ते, इरे [ ८-४-३८२
(३४) भविष्यकाळ वर्तमानकाळना प्रत्ययोने शरूआतमा ‘स' के 'स्स' लगाडवाथी ते प्रत्ययो भविष्यकाळमां वपराय छे. स्सउं, स.
स्सहूं, सहुं [८-४-३८८ स्सहि, सहि४५
स्सहु, सैडे स्सँई, सइ
२४स्सहिं, सहिं वगैरे.
शेष प्राकृत प्रमाणे. २४३ भाषामां वपरातां करुं छु, बोलुं छु, कहं छं वगेरेनो अंतिम ‘उं' अने प्रस्तुत 'उ' ए बन्ने तद्दन समान छे.
२४४ भाषामां वपरातां प्रथम पु० ए० करीश, प्रथम पु० ब० करीशुं क्रियापदो अने प्र० ए० करिस्सउं, प्र० ब० करिस्सहुं क्रियापदो ए बन्ने बच्चे निकटनी समानता छ अर्थात् 'करीश,' 'करीशु' मां अंते रहेला 'ईश' अने 'ईशु' (ते बने) ना मूळमां अनुक्रमे 'स्सउं' अने 'स्सहुँ' प्रत्ययो छे.
२४५ 'तुं करशे' अने 'तुहं करिस्सहि' ए बन्ने एकसरखां क्रियापदो छ अर्थात् 'करशे' नो अंतिम 'शे', 'करिस्सहि' ना अंतिम ‘स्सहि' प्रत्यय द्वारा सधायेलो छे.
२४६ ए ज प्रमाणे 'तमे लखशो' अने 'तुम्हे लिखिस्सहु' ए बन्ने पण तद्दन समानतावाळां क्रियापदो छ अर्थात् भविष्यकाळना बीजा पुरुषना बहुवचननो 'शो', प्रस्तुत 'स्सहु' प्रत्यय द्वारा सधायेलो छे.
२४७ 'ते करशे' अने 'तेओ करशे' ए क्रियापदो अने 'सु करिस्सइ' 'ते करिस्सहिं' ए क्रियापदो पण एकसरखां छे अर्थात् भविष्यकाळना तृतीय पुरुषना एकवचननो अने बहुवचननो 'शे', प्रस्तुत 'स्सइ' अने ‘स्सहिं' प्रत्यय द्वारा अनुक्रमे सधायेलो छे. ए रीते चालु गुजरातीमां वपराता भविष्यकाळना समग्र प्रत्ययो, ऊगती गुजरातीमां वपराता भविष्यकाळना प्रत्ययो द्वारा सधायेला छे.
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