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________________ २०२ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति ८-४-४४५ (११) शब्दोनी जाति व्यवस्थित नथी एटले नर जातिनो शब्द नान्यतरमा पण वपराय छे, नान्यतर जातिनुं अनियंत्रण जातिनो शब्द नरजातिमां पण वपराय छे. नान्यतर जातिनो शब्द नारीजातिमां पण आवे छे. (कुम्भाः ) नर० नान्यत० कुम्भई ( अभ्राणि) नान्यत० नर० अब्भा ( अन्त्राणि) , नारी० अन्नडी ( शाखाः ) नारी० नान्यत० डॉलई ८-४-४४७ (१२) क्रियापदमां वपरायेला वर्तमानकाळना _ प्रत्ययो भूतकाळने सूचवे छे अने भूतकाळना काळनुं अनियंत्रण प्रत्ययो वर्तमानकाळने सूचवे छे.२४ ८-४-४४६ (१३) शौरसेनी भाषामां जे जे विधानो सूचव्यां छे तेमांनां घणाखरां, आ भाषामां पण समझवानां शौरसेनीवत् के आचार्य हेमचंद्रे शौरसेनी भाषामां जे खास विधानो बताव्यां छे ते आ प्रमाणे छे १ 'त' नो 'द', २ ‘न्त' नो ‘न्द', ३ र्य' नो ‘य्य' के 'ज्ज', ४ 'थ' नो 'ध' के 'ह' ५ 'इह' अव्ययना 'ह' नो २२१ जुओ पृ० ७० [४१] २२२ भाषानो 'आंतरडी' शब्द अने प्रस्तुत 'अन्त्रडी' ए बन्ने तद्दन समान छे. 'अंत्रडी' एटले आंतरडां. २२३ भाषानो 'डाळां' शब्द अने प्रस्तुत 'डालई' ए बन्ने पदो बच्चे सर्वथा समानता छे. मूल "दल विशरणे" अर्थात् 'दल' धातु द्वारा ए शब्द सधायो छे. २२४ जुओ पृ० ५३ [५] तथा पृ० ७० [४१] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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