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उञ्चारणो
गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
रोचिस्-रोचि शोचिस्-शोचि चर्मन्-चर्म शवस्-शव होमन्-होम
तपस्-तप
[५४ ] केटलाक एकार्थक शब्दोनां उच्चारणो स्वर अने संयुक्त एवां विविध देखाय छे के ए उच्चारणो ज एमनी वर्णनां विलक्षण " प्राकृतता ठरावे छे:
चन्द्र-चन्दिर-चन्द विकुस्र-विकस-विक्रस बुक्कस-पुक्कस-पुत्कस तविश-तविष-ताविष वनीपकबनीयक-वनबक खोड-खोट-खोर वराणसी-वाराणसी-वाणारसी हण्डे-हजे सुवासिनी-स्ववासिनी मौक्तिक-मुकुतिक-मकुतिक मस्तक-मस्तिक अषाढ-आषाढ एतश-ऐतश बिडोजा-बिडौजा निघण्टु-निर्घण्टु
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