________________
होय अथवा जाणे कोईए वज्रथी तेने मार्यो होय एवो ते मूर्छित थईने तरुखंडनी छायामां थोडीवार पडयो रह्यो, पछी शीतवायुनी लहेरो आववाथी तेनी मूर्छा वळी, तेनामां भान-चैतन्य आव्युं अने शोक करवा लाग्यो. केवो रीते शोक करवा लाग्यो ?
हितना अर्थी एवा में बुद्धि नासी गयेली होवाथी हाय ! हाय ! आ खूब खराब कर्यु के, अचिंत्य माहात्म्यथी भरेला एवा ते स्वामीने ---महावीरस्वामीने छोडी दीधा. १ ।
ए मारो स्वामी तद्दन निर्दोष छे छतां हताश थयेला में कुविकल्पो करीने तेमनी जे अवज्ञा करा ते खरेखर आखरे आ रीते मारे माथे आवी पडी. २
तेमना ज प्रभावथी हुँ दुष्टशील होवा छतां पहेलो मारो नभाव अनेक स्थानोमां थतो आव्यो छे माटे हवे हमणां तो तेमना विना मारूं जीवन टकशे नहीं. ३. अथवा
सारी रीते विचार कर्या विना जे कार्यों सहसा करवामां आवे छे ते छेवटे अपथ्य भोजननी पेठे दुःखो ज आपे छे ४.
पृ०३४] मने लागे छे के आवा आवा बाना नीचे ज कृतांत मने छळवा इच्छे छे. एम न होय तो मने आवी कुमति सूझे ज केम ? ५
तो हवे शरणरूपे कोर्नु स्मरण करु ? अथवा कया उपायने स्वीकारूं अने कोनी आगळ मारा दुःखनी वात करी निश्चित थाउं. ६
___ अथवा हवे विकल्पो करीने शुं करूं ? आ त्रण लोकमां ए नाथने मूकीने-ए नाथ विना मने कोईनोय सहारो मलवानो नथी माटे
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org