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________________ गया अने त्यां पण 'आ कोई जासूस छे' एम समजीने ते गामना फोजदारोए तेमने पकड़या-बांध्या तथा मार्या अने विविध रीते तेमनी कदर्थना करवा साथे खूब पीडा करो. हवे जिननाथ ने ए फोजदारो मारता हता त्यारे लोकमां एवी बात फेलाई गई के देवार्य रूपलक्ष्मी वडे अनुपम छे अर्थात् देवानुं रूप असाधारण छे. १ एने जासूस समजीने केम पकड्या छे ? शुं आवो माणस पण आवुं जासूसनुं काम करे खरो अथवा कर्मनी गति विचित्र छे एटले शुं न संभवे : २ [पृ० ३१] तो पण लोकोमां एवी प्रसिद्ध कथनी संभळाय छे के ज्यां आकृति छे त्यां गुणो पण होय छे. माटे खरेखर एम लागे छे के आ लोको मूढताने लीघे आमने पीडा आपी रह्या छे. ३ साधु पण पोताना भोग-उपभोग माटे वर - नठारुं कामआचरण कर छे पण जे वस्त्रने पण इच्छतो नथी ते जासूसनुं काम केम करीने करशे ? ४ आवो लोकमां फेलायलो प्रवाद सांभळीने जेमणे तत्काळ दीक्षा छोडी दीधी छे अने पोताना निर्वाह माटे प्ररिवाजिकानो वेश धारण करनारी एवी विजया अने प्रगल्भा नामनी पार्श्वनाथनी शिष्याओ कदाच ए वीरजिन न होय ? एवी शंकाने लीधे व्याकुळ थयेली ते, ५-६ ज्यां भगवानने दुःख देवामां आवे छे ते जग्याए जाय छे अने जिनवर ने जोइने आदरपूर्वक वंदन करे छे अने पछी ए बे जणीओ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
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