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________________ ३५ केटलाकोए तेने पकडीने देवळनी बहार काढी मूक्यो. देवळनी बहार आववाथी ते गोशाळो सखत टाढने लीधे अने कायाने वींधी नाखे तेवा सखत ठंडा पवनने लीधे भारे पीडा पाम्यो, तेणे टाढ न लागे माटे पोताना बन्ने हाथ खूब भीडीने छाती उपर ढांकी राखेले शरीरे थरथरवा लाग्यो, दांतनी वीणा वागवा लागी अने तेने आखे शरीरे सखत ठंडने लीधे रोमांच थई गयो अने ए रीते टाढथी पीडायेलो ते बहार धूजतो धूजतो पड्यो रह्यो. आम तेने-गोशालकने थरथरतो जोइने पेला दरिद्रस्थविरोने दया आवी अने तेने पाछो देवळमां आववा दीधो. देवळमां आवतां ज तेनी टाढ ओछी थई गई पण ते पोताना बोलकणा [ पृ० २२ ] खराब स्वभावने रोकी न शकवाथी फरी पाछो ए संप्रदायनी आगळ कह्या प्रमाणे कठोर भाषा द्वारा निंदा करवा लाग्यो. आम पोताना संप्रदायनी निंदा करतो तेने जोईने ते लोकोए एने फरी बहार काढयो अने फरी पाछो देवळमां आववा दीधो. आम त्रणवार कयु. हवे देवळमां प्रवेश पामेल गोशालो चोथीवार तो आम कहेवा लाग्यो अहीं जेने विशे वात करी शकाय एम नथी एवा निज मतना विकल्पनी वात तो दूर रही पण अहीं साची वात पण बोली शकातो नथी. हुं शुं करूं ? १ पोताना दुश्चरित्र उपर ज्यां थोडो पण रोष करवामां आवतो नथी एवा आ स्थाने त्रिसंध्य एटले सवारे, बपोरे अने सांजे एम त्रणकाळ नमीए छीए. पण जो कोई स्फुटवादीओ एटले स्पष्टवक्ता-सत्यवक्ता होय तो जरूर रोष करे. अथवा पोताना दुश्चरित्र उपर तो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
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