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________________ १६ अने रूपियो खोटो छे एम जणायुं. आ बनाव बन्या पछी गोशालके नक्की कर्यु के 'जे थवानुं होय छे ते थाय ज छे अन्यथा थतुं नथी' अने आम नक्की करीने तेणे नियतिवादने स्वीकार्यो. भगवान पण कार्तिकी पूनमने दिवसे ज नालंदा संनिवेशथी नीकळीने कोल्लाकसंनिवेशमां गया. त्यां ते वखते बहुल नामनो ब्राह्मण ते दिवसे पोताने घरे उत्तम ब्राह्मणोने दूधपाक जमाडे छे. चोथा मासखमणनुं पारणं करवानी वृत्तिवाळा भगवान भिक्षा माटे तेना घरमा प्रवेश्या. बहुले भगवानने जोया अने घृतमधुयुक्त एवं परमान्न- दूधपाक वहोराबीने भगवानने पारणं कराव्युं. त्यां पण पांच दिव्यो प्रगट थयां आ तरफ - [पृ० १० ] हाथमा खोटो रूपियो लईने शरमने लीधे धीमे धीमे चालतो गोशाळा सांजनो वखत थतां वणाटशाळामां आवे छे. १. वाटशाळामां जिननाथने नहीं जोतां संभ्रान्त बनेलो गोशालक वाटशाळानी पासे रहेनारा लोकोने तमाम प्रयास साथे वारंवार भगवानना समाचार पूछे छे. २ ज्यारे गोशालक ने कोईए जवाब न आप्यो व्यारे ते नालंदा संनिवेशन अंदर अने बहार चारे तरफ स्वामीनी तपास करतो करतो फरतो ज रह्यो. ३. गोशालकने 'स्वामी क्यां गया छे ?' ए हकीकत क्यांयथी पण मळी नहीं. तथा ते विचारवा लाग्यो- मारो विधाता वांको छे. फरी वार पण तेणे मने एकलो रखडतो करी मेल्यो. ४. एम लांबा समय सुधी जूरीने जूरीने चित्रफलक वगेरे उपकरणोने तेणे छोडी दीघां, कपडां काढी नाख्यां अने नीचेना होठ साथे माथा For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
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