________________
१३६
पूछवा लाग्यो. मातापिता बोल्यां--हे पुत्र ! तुं अमारी कूखेथी ज जन्मेलो छे, अन्यथा विकल्प न कर । एवो कोण होय के पारकाना छोरुओने-बालकोने पाळे ? पछी तो वेसियायण खूब आग्रह करी करीने पूछवा लाग्यो अने ज्यां सुधी खरो जवाब न मळे त्यां सुधौ खाधापीधा विना ज रहेवानुं नक्की कयु. त्यारे तेओए जे वात खरी हती ते बधी पहेलेथी ठेठ सुधी कही संभळावी. हवे वेसियायणना मनमां निश्चय थयो के ते(वेश्या) मारी माता ज हती. फरी पाछो चंपानगरीमा त्यां वेश्यानी पासे गयो अने तेणे बधी वात गणिकाने कही संभळावी. साथे एम पण का के जे रीते पोते तेनो पुत्र हतो अने तेने वृक्षनी छायामां छोडी देवामां आग्यो हतो वगेरे. पछी ते वेश्याने आ वात सांभळीने पोतानो आगलो बधो वृत्तान्त याद आवी गयो अने पतिना विरहना दुःखने लीधे पोते अकारजनी आवी प्रवृत्तिमां पडी गई अने पोताना छोकरा साथे कहेलां वचन संभारतां ते वीली पडो गई-झंखवाई गई-शरमाई गई अने आ बवू सांभळतां तेणीने भारे आघात लाग्यो. एटले पोताना ओढवाना वस्त्रवडे मोढुं ढांकीने लांबा पोकार पाडीने रोवा लागी तथा भारे विलाप करवा लागी. केवी रीते ?
हे पापी विधाता ! हे निर्दय विधाता ! हे बेशरम विधाता ! हे अनार्य विधाता ! हे लाजशरम-लाजमर्यादा वगरना विधाता ! तारा सिवाय बीजो एवो कोण छे जे आवा विडम्बनाना प्रपंचोने जाणे ?.१
- [पृ०८६]हे विधाता ! उत्तमकुलमा जन्मेलीने मने तें कुलीनस्त्रीना धमने मलिन करनारा अने आलोक अने परलोकमां दुष्ट एवा वेश्याना भावमा धकेली दीधी-बनावो धो. २
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org