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गोरोचना थाय छे, कृमि नामना कीडाओमांथी रेशम थाय छे, पत्थरमांथी सोनु थाय छे अने गायना रुवाडामांथी धरो थाय छे. ए बधा गुणवाला पदार्थो पोताना गुणने लीधे ख्याति पामे छे. एना जन्मना कारणथी नहीं. माटे जन्मनी वात पूछीने शुं काम छे ? २ ।
पृ०८५] माटे तारे आ बाबत पूछीने शुं काम छे ? एम कहीने एणी हावभाव साथे स्त्रीनो विभ्रम देखाडवा लागी. त्यारे वेसियायणे का- तने बीजं पण एटलं ज मूल्य-किंमत आपीश जो तुं मने साची वात कहीश. आम कहोने देसियायणे तेने आकरा मोटामां मोटा सोगन आप्या, तुं जरापण खोटुं बोलीश नहीं एम पण का. आम कह्या पछी एणीए जेवी बात बनेल हती तेवी ज बराबर मूळथी मांडीने बधी वात कही. ते जातनी वात सांभळीने वेसियायणना मनमा शंका पडी के जो वळी आ स्त्रीए जेने वृक्षनी छायामां छोडी दीधो हतो-- पडतो मूक्यो हतो-ते हुं ज होउं ? आम होय तो गायनी वाणी पण बराबर घटी जाय, अने आम विचारीने पेली वेश्याने बमणुं धन आपीने ते, वेश्याने घेरथी पाछो फर्यो अने वळता रस्तामां ज्यां जतां जंतां गाय अने वाछडो जोयां हतां त्यां गाय के वाछडानी तपास करी. पण तेना जोवामां तो कांई ज न आव्यु. एटले ते वेसियायणे जाण्यु के खरेखर कोई खास देवे गाय-वाछडान रूप करी आम बात करीने अकारजमां पडतो मने बचावी लीधो छे अर्थात् अकारज आचरतो मने अटकावी दीधो छे. हवे ते वेसियायण गाडं लईने पोताने गाम गयो अने प्रसंग मळतां पोतानी उत्पत्तिनी वात विशे मातापिताने
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