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( ३१५) રૂ. ૦–૧૦–૦ દશઆના તદન પડતર કીમત છે. સાહિત્યના પ્રચારની અભિલાષા આ જનાથી જરૂર પુરી પડે તે બનવા જોગ છે.
नपत्र, मारना२० al. 3 गनेवारी १८१५. પુસ્તક ૧૩ અંક ૧ લે પાનું ૫,
(१०)
हमारे पास संचालकोंने निम्न लिखित चार ग्रन्थ भेजनेकी कृपां की है:
१ आनन्दकाध्यमहोदधि प्रथम मौक्तिक, (गुजराती) *२-३-४ ........................
पहले ग्रन्थमें शालिभद्र रास, कुसुमश्री रास, कुमारपाल प्रस्ताविक काव्य, अशोकचन्द्र रोहिणी रास और प्रेमलालक्ष्मी रास इन पांच गुजराती काव्यों का संग्रह है। प्रारंभमें लगभग ६० पृष्ठका 'विवेचन' है जीसमें प्रत्येक काव्यके लेखकका इतिहास, काव्यका विशेषत्व आदि बातोंका विचार किया गया
આ ત્રણ પુસ્તકે અહીં ઉપયોગી ન હોવાથી આ ना. ० त्ता
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