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લધુવૃત્તિ-અષ્ટમ અધ્યાય-ચતુર્થ પાદ
[૩૨૧
क्षिपे: गलत्थ-अड्डक्ख-सोल्ल-पेल्ल-णोल्ल-छुह-हुल-परी-घत्ता.
॥४।१४३॥ क्षिप् यातुन ५ गलत्थ, अक्ख, सोल, पेल्ल, णोल्छ अथवा गुल्ल, छह, हुल, परो सात घत्त सेवा नप यातुये। पि४८ ५५२।५ .
क्षिप-क्षिपति-खिवइ-३४ छ, ही भू छ.
गलत्थ-गलत्थइ- " अडक्ख-आक्खइ- ,, सोल-सोलपेल-पेलइrणोल–णोल्लइ . Lणुल्ल गुलइ छह-छुहइ
परी-परीइ
धत्त-घत्तइसरमावा-गलहस्तयति--गलस्थइ-ले पाय इन घरो मारे थे.
प्रेरयति-पेलइ
नुदति-णोलइ, गुल्लइ १३१७ क्षिप् प्रेरणे। उत्क्षिपेः गुलगुब्छ-उत्थव-उल्लत्थ-उब्भुत्त-उस्सिक्क-हक्खुवाः
॥८।४।१४४॥ उत् ५स साथेन। क्षिप् धातुने पहले गुलगुञ्छ, उत्थङ्घ, उल्लत्थ, उब्भुत्त, उस्सिक अने हक्खुव मे। ७ घातु। विक्ष्ये १५२।५ छे. उत्+क्षिप्-उतक्षिपति-उक्खिवइ-ये ३३ -छाणे छे.
गुलगुञ्छ-गुलगुंछइउत्थङ्घ-उत्थवइउल्लत्थ-उल्लत्थइ
उब्भुत्त-उब्भुत्तइहेग-२१
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