________________ (246) रत्नपरीक्षा खुरसाणे वसरपुरे पुव्वयखाणीसु थाहुमट्टीओ / कुट्टिवि निलयं काउं धम्मिज्जए होइ खप्परिओ // 124 // सिरिधंधकुले आसी कन्नाणपुरम्मि सिट्टिकालियओ / तस्स य ठक्कुर चंदो फेस तस्सेव अंगरुहो // 125 / / तेण य रयणपरिक्खा रइया संखेवि ढिल्लियपुरीए / करमुणिगुणससिवरिसे अलावदीणस्स रज्जम्मि // 126 // श्रोढिल्लीनगरे वरेण्यधिषणः फेस इति व्यक्तधी मूर्द्धन्यो वणिजां जिनेन्द्रवचने वैचारिकग्रामणीः / तेनेयं विहिता हिताय जगतां प्रासादबिम्बक्रियारत्ना विदुषां चमत्कृतिकरी सारा परीक्षा स्फुटमं // 127 // इति परम जैन ठक्कुर फेरु विरचिता संक्षेपरत्नपरीक्षा / // समाप्त // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org