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________________ सत्तवीसतिमं सयं। १. [प्र०] जीवे णं भंते! पापं कम्मं किं करिसु करेन्ति करिस्संति १, करिसु करेंति न करिस्संति २, करिसुन करेंति करिस्संति ३, करिंसु न करेंति न करेस्संति ४१ [उ०] गोयमा! अत्यंगतिए करिसु करेंति करिस्संति १, प्रत्येगतिए करिसु करेंति न करिस्संति २, अत्यंगतिए करिसु न करेंति करेस्संति ३, अत्यंगतिए करिसु न करेंति न करेस्संति। २. [प्र०] सलेस्से गं भंते ! जीवे पावं कम्म-एवं एएणं अभिलावेणं जच्चेव बंधिसए बत्तखया संमेव निरवसेसा भाणियचा, तहेव नवदंडगसंगहिया एकारस उद्देसगा भाणियथा । सत्तविसतिमं करिसुसयं समत्तं । सत्यावीशमुं शतक. १. [प्र०] हे भगवन् ! १ जीवे *पापकर्म कर्ये हतुं, करे छे अने करशे ? २ कर्यु हतुं; करे छे अने करशे नहि ! ३ कर्यु हतुं, करतो नथी अने करशे? ४ कयें हतुं, करतो नथी अने करशे नहि ? उन हे गौतम! १ कोइक जीवे कर्य हतं, करे के भने करशे. २ कोइक जीवे कयु हतुं, करे छे अने करशे नहि. ३ कोइक जीवे कयै हतुं, करतो नथी अने करशे. अने कोइक जीवे कर्य हतं, करतो नथी अने करशे नहि. २. [प्र०] हे भगवन् ! लेश्यावाळा जीवे पाप कर्म कयु हतुं-इत्यादि पूर्वोक्त पाठ वडे बंधिशतकमा जे वक्तव्यता कही छे ते बधी वक्तव्यता अहीं कहेवी. तेमज नव दंडक सहित अगियार उद्देशको पण अहीं कहेवा. सत्यावीशमुं *करिंसु शतक समाप्त. १ * प्रश्नमा बन्धिपद होवाथी छवीशमुंबन्धिशतक कहेवाय छे तेम अहीं प्रश्नमा 'करिंसु' पद होवाथी सत्यावीशमुं करिंसुशतक कहेवामां आवे छे. यद्यपि कर्मना बन्ध अने करणमा काइ पण मेद नथी तो पण बन्ध एटले सामान्यरूपे कर्मनुं बांध अने करण एटले संक्रमादि खरूपे कर-ए विशेषता . जणाववा बन्ध अने करणनो जुदो निर्देश कयों छे. Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004643
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages442
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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