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शकने अयमहि बीओ.
शक्र सुधर्मा समा मां देवीओ साये भोग भोगवना समर्थ छे १
शकना लोकपाल सोमने अग्रमहि पीओ.
ईशानेन्द्र ने अग्र महिषीओ.
ईशानना लोकपाल सोमने अग्रम हिपीओ.
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श्रीरायचन्द्र-जिनागम संग्रहे
शतक १०. - उद्देशक ५०
२५. [प्र० ] संकस्स णं भंते ! दोविंदस्स देवरनो पुच्छा । [उं०] अजो ! अटू अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा१पडमा २ सिवा ३ सेवा, ४ मंजू, ५ अमला, ६ अच्छरा ७ नवमिया, ८ रोहिणी सत्य णं एगमेगार देवीए सोलस सोलस देवीसहस्सा परिवारो पण्णत्तो । [प्र०] पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाई सोलस सोलस देविसहस्साइं परियारं वित्तिय १ [४०] यामेव सपुढायरेणं अट्ठावीसुत्तरं देविसयसहस्वं परिवारं विवित्सर, सेतं तुडिए ।
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२६. [ प्र० ] पभू णं भंते! सक्के देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे, सोहम्मवडेंसर विमाणे, सभाप सुहम्माए, ससि सीदाससि टिपणं सद्धि से जदा चमरस्स, नवरं परिवारो जहा मोउदेशय ।
२७. [प्र०] सहस्त्र णं देविंदस्य देवरम्रो सोमरस मद्दारथ्यो कति जग्गमहिसीलो पुच्छा [ उ० ] भो ! बारिअग्गमदिसीमो पद्मशानो, तं जहा १ रोहिणी, २ मदणा, ३ चिता, ४ सोमा । तत्थ णं यममेगा०, सेसं जहा चमरहोगपालाणं, नवरं सयंपभे विमाणे, सभाए सुहम्माए, सोमंसि सीद्दासणंसि, सेसं तं चेव, एवं जाव-वेसमणस्स, नवरं विमाणाई जहा ततियसए ।
२८. [प्र०] [सारस णं भंते! पुच्छा। [४०] भजो ! अट्ट अम्मामहिसीओ पद्मत्ताओ, तं जहा-१ कण्दा २ कण्डराई, १३ रामा ४ रामरक्खिया, ५ वसू, ६ वसुगुप्ता, ७ वसुमित्ता, ८ वसुंधरा । तत्थ णं एगमेगाए सेसं जहा सक्कस्स ।
२९. [प्र० ] ईसारस णं भंते! देबिंदस्स सोमस्स महारनो कति अम्गमहिसीओ पुच्छा [उ० ] भजो ! चत्तारि अग्गम दिसीओ पताओ तं जदा-१ पुदयी २ राई, ३ रयणी ४ बिजू तत्थ पं० सेसं जहा सफरस लोगपालाणं, पर्व ज्ञाव वरुणस्स, णवरं विमाणा जहा चउत्थसए, सेसं तं चेव, जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं । सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति ।
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दसमसए पंचमो उदेसो समतो |
२५. [ प्र० ] हे भगवन् ! देवना इन्द्र देवना राजा शकने केटली पट्टराणीओ कही छे ? [उ०] हे आर्य ! तेने आठ पट्टराणीओ कही छे, वे आ प्रमाणे- पद्मा, शिवा, श्रेया, अंजु, अमला, अप्सरा, नवमिका अने रोहिणी, तेमांनी एक एक देवीनो सोळ सोळ हजार देवीओनो परिवार होय छे. तेमांनी एक एक देवी बीजी सोळ सोळ हजार देवीओना परिवारने विकुर्वी शके छे. ए प्रमाणे पूर्वापर मळीने एक लाख अने अठ्यावीश हजार देवीओना परिवारने विकुर्ववा समर्थ छे. ए प्रमाणे त्रुटिक ( देवीओनो समूह ) कह्यो.
२६. [प्र० ] हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र सौधर्म देवलोकमां सौधर्मवतंसक विमानमां सुधर्मा समाने विषे अने शक्र नामे सिंहासनमा बेसी ते त्रुटिक ( देवीओना समूह ) साथै भोग भोगववा समर्थ छे ? [ उ०] हे आर्य ! बाकी सर्व चमरेन्द्रनी पेठे जाणवुपरन्तु विशेष एछे के तेनो परिवार "तृतीयशतकना प्रथम उद्देशकमां कह्या प्रमाणे जाणवो.
२७. [अ०] हे भगवन् देवेन्द्र देवराज शकना (लोकपाल) सोन नामे महाराजाने केटली पट्टराणीओ कही है। [३०] है आर्य तेने चार पट्टराणीओ कही छे, ते आ प्रमाणे - रोहिणी, मदना, चित्रा अने सोमा. तेमां एक एक देवीनो परिवार वगेरे चमरेन्द्रना लोकपालोनी पेठे जाणवो; परन्तु विशेष ए छे के स्वयंप्रभ नामे विमानमां सुधर्मा सभामां अने सोम नामना सिंहासनमां बेसीने मैथुननिमित्ते देवीओनी साथै भोग भोगववा समर्थ नथी - इत्यादि सर्व पूर्ववत् जाणवुं. ए प्रमाणे यावद् वैश्रमण सुधी जाणवुं. परन्तु विशेष ए छे के तेमना विमानो "तृतीयशतकमां कथा प्रमाणे का.
२८. [ प्र० ] हे भगवन् ! ईशानेन्द्रने केटली पट्टराणीओ कही छे ? [उ०] हे आर्य ! तेने आठ पट्टराणीओ कही छे, ते आ प्रमाणेकृष्णा, कृष्णराजि, रामा, रामरक्षिता, वसु, वसुगुप्ता, बसुमित्रा अने वसुंधरा. तेमां एक एक देवीनो परिवार वगेरे बधुं शकनी पेठे जाणवु.
२९. [प्र० ] हे भगवन् । देवेन्द्र देवराज ईशानना [लोकपाल ] सोम नामे महाराजाने केटली पहराणीओ कही छे ! (उ०] दे आर्य ! तेने चार पट्टराणीओ कही छे, ते आ प्रमाणे- पृथिवी, रात्री, रजनी, अने विद्युत् तेमां एक एकनो परिवार वगेरे बाकी बधुं शकना लोकपालोनी पेटे जाग र प्रमाणे यावद वरुण सुधी जाणवुं. पस्तु विशेष एछे के चिया शतकमा कक्षा प्रमाणे विमानो कहना, बाकी वधुं पूर्वी पेठे जाणवुं यावत् ते मैथुननिमित्ते [ राजधानीमा पोताना सिंहासन उपर बेसीने] भोग भोगयता नथी. हे भगवन् ! ते एमज छे, हे भगवन् ! ते एमज छे.
दशम शते पंचम उद्देशक समाप्त.
२६. * भग० खं. २ श० ३ उ० १ पृ० १६. २९. भग० खं. २ ० ४ उ० १-८ पृ० १३०.
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